क्या आजकल की स्कूली शिक्षा बच्चों की रचनात्मकता को खत्म कर रही है? 

आज के दौर में शिक्षा का महत्व बहुत बढ़ गया है, लेकिन क्या यह शिक्षा प्रणाली बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा दे रही है या उसे खत्म कर रही है? यह सवाल अक्सर शिक्षाविदों, अभिभावकों और समाज के मन में उठता है।

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स्कूली शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चों को ज्ञान और कौशल प्रदान करना है, लेकिन क्या यह उनकी रचनात्मकता को दबा रही है? इस ब्लॉग में, हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे कि क्या आज की स्कूली शिक्षा बच्चों की रचनात्मकता को कैसे प्रभावित कर रही है। 

रचनात्मकता क्या है?

रचनात्मकता का अर्थ है नई चीजें सोचना, नए विचारों को जन्म देना और समस्याओं को अलग तरीके से हल करना। यह एक ऐसी क्षमता है जो हर बच्चे में होती है, लेकिन इसे सही माहौल और प्रोत्साहन की जरूरत होती है। रचनात्मकता के कुछ मुख्य पहलू हैं: 
1. नवाचार – नई चीजें बनाना या सोचना। प्रत्येक अविष्कार रचनात्मकता पर आधारित है।
2. कल्पनाशीलता – कल्पना के माध्यम से नए विचारों को जन्म देना। जरूरत कल्पना को जन्म देती है और कल्पना रचनात्मकता के माध्यम से नई खोज करवाती है।
3. समस्या समाधान – समस्याओं को अलग तरीके से हल करना भी रचनात्मकता का एक पहलू है।

आज की स्कूली शिक्षा की स्थिति –

आज की स्कूली शिक्षा प्रणाली मुख्य रूप से परीक्षा और ग्रेड पर केंद्रित है। बच्चों को पाठ्यक्रम के अनुसार ज्ञान दिया जाता है, लेकिन उनकी रचनात्मकता को नजरअंदाज किया जाता है। इसके कुछ मुख्य कारण हैं –

1. परीक्षा पर जोर 
आज की शिक्षा प्रणाली में परीक्षा और ग्रेड को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। बच्चों को रट्टा मारकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनकी रचनात्मकता दब जाती है।

और वें ज्यादा नंबर लेने के चक्कर मे उन किताबों के पाठ्यक्रम को ही अपनी सीमा मान लेते है व कुछ भी नई चीजे नही पढ़ते। जिनसे उनकी रचनातमकता कम होती जाती है।

2. सीमित पाठ्यक्रम
स्कूली पाठ्यक्रम मुख्य रूप से गणित, विज्ञान और साहित्य पर केंद्रित होता है। इसके अतिरिक्त कला, संगीत और नाटक जैसे विषयों को कम महत्व दिया जाता है, जो बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं। 

3. शिक्षकों का दबाव
शिक्षकों पर भी पाठ्यक्रम को समय पर पूरा करने और बच्चों को अच्छे ग्रेड दिलाने का दबाव होता है। इस वजह से वे बच्चों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित नहीं कर पाते। और पाठ्यक्रम और अच्छे ग्रेड मे ही उलझ कर रह जाते है।

4. प्रतिस्पर्धा
आज की शिक्षा प्रणाली में प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा है। बच्चों और स्कूलों को हर कदम पर दूसरों से आगे निकलने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनकी रचनात्मकता प्रभावित होती है। आज शिक्षा को एक व्यवसाय के तौर पर देखा जाने लगा है जो बहुत घातक है।  

क्या स्कूली शिक्षा रचनात्मकता को खत्म कर रही है? 

1. रट्टा मारकर पढ़ाई
आज की शिक्षा प्रणाली में बच्चों को रट्टा मारकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर किया जाता है। यह उनकी रचनात्मकता को दबा देता है क्योंकि वे नई चीजें सोचने और सीखने के बजाय केवल याद करने पर ध्यान देते हैं। 

2. कला और संगीत को कम महत्व
कला और संगीत जैसे विषयों को आज की शिक्षा प्रणाली में कम महत्व दिया जाता है। ये विषय बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया जाता है। 

3. नवाचार के लिए कम जगह 
आज की शिक्षा प्रणाली में नवाचार के लिए कम जगह है। बच्चों को नई चीजें सोचने और बनाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता। 

4. भय और तनाव 
परीक्षा और ग्रेड का भय बच्चों में तनाव पैदा करता है। यह तनाव उनकी रचनात्मकता को प्रभावित करता है और उन्हें नई चीजें सोचने से रोकता है। 

रचनात्मकता को बढ़ावा देने के तरीके 

1. कला और संगीत को महत्व देना
स्कूलों में कला, संगीत और नाटक जैसे विषयों को अधिक महत्व देना चाहिए। ये विषय बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं। 

2. प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा
प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा बच्चों को नई चीजें सीखने और सोचने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा देती है। 

3. खेल-खेल में सीखना
खेल-खेल में सीखने की विधि बच्चों को रचनात्मक बनाती है। यह उन्हें नई चीजें सोचने और सीखने के लिए प्रेरित करती है। 

4. शिक्षकों का प्रोत्साहन 
शिक्षकों को बच्चों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्हें बच्चों को नई चीजें सोचने और बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। 

5. तनाव मुक्त माहौल 
स्कूलों में तनाव मुक्त माहौल बनाना चाहिए। बच्चों को परीक्षा और ग्रेड के भय से मुक्त करना चाहिए ताकि वे अपनी रचनात्मकता को व्यक्त कर सकें। 

विशेषज्ञों की राय 

कई शिक्षाविदों और मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आज की स्कूली शिक्षा प्रणाली बच्चों की रचनात्मकता को प्रभावित कर रही है। उनके अनुसार, शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चों को ज्ञान और कौशल प्रदान करने के साथ-साथ उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा देना भी होना चाहिए। 

निष्कर्ष –

आज की स्कूली शिक्षा प्रणाली बच्चों को ज्ञान और कौशल प्रदान करने में तो सक्षम है, लेकिन यह उनकी रचनात्मकता को प्रभावित कर रही है।

रचनात्मकता बच्चों के व्यक्तित्व विकास और समस्या समाधान क्षमता के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाएं और बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा दें। 

अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे न केवल सफल बल्कि रचनात्मक भी हों, तो हमें उन्हें एक ऐसा माहौल देना होगा जहां वे अपनी कल्पनाशीलता और नए विचारों को व्यक्त कर सकें। 

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