वो पल जब मैंने खुद को रोक लिया –

एक किस्सा सुनिए – 2018 में एक शोधकर्ता ने अपनी लैब में दो समूहों पर प्रयोग किया। पहले समूह को बताया गया कि “तुम्हारी प्रतिभा सीमित है,” और दूसरे को कहा गया, “तुम्हारा दिमाग हर चुनौती से बढ़ता है।”
एक महीने बाद, दूसरा समूह 40% ज़्यादा सफल रहा। यह कोई चमत्कार नहीं हकीकत है। यह नयूरोप्लास्टिसिटी का विज्ञान था। पर जीवन मे आपकी सफलता को रोकने वाली चीज़ें इससे भी खतरनाक हैं।
आइए आज उन 3 खतरनाक बाधाओं को जानें जो आपके दिमाग में छिपे बैठे हैं –
1. “मैं नहीं कर सकता” का भूत, Fixed Mindset की जड़ें –
विज्ञान क्या कहता है –
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रो. कैरल ड्वेक की रिसर्च कहती है की जो लोग मानते हैं कि “प्रतिभा जन्मजात होती है,” वे जीवन मे आने वाली चुनौतियों से भागते हैं। उनका दिमाग डोपामाइन (खुशी का केमिकल) तभी छोड़ता है जब वे “सही” होते हैं। गलती होते ही, ये लोग हार मान लेते हैं। और कोशिश करना छोड़ देते है।
उदाहरण – एक छात्र ने एग्जाम दिए और वो फेल हो गया। उसका कहना था की “उसकी बुध्दिमत्ता कम है” इसीलिए वह फेल हो गया। मगर 3 महीने बाद ग्रोथ माइंडसेट की ट्रेनिंग ली और टॉप किया।
समाधान – रोज़ाना खुद से पूछें, आज मैंने क्या सीखा? यह सवाल दिमाग को सीखने की मशीन बना देगा। इसके अलावा पॉजिटिव affirmations का सहारा भी ले। और खुद को बताएं की आप बहुत मेहनती हो और मेहनत के दम पर कुछ भी कर सकते हो।
2. टालमटोल का जाल, किसी कार्य को टालने की आदत –
विज्ञान क्या कहता है?
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार, टालमटोल हमारे दिमाग़ के अंदर दो भागो तार्किक दिमाग और भावनात्मक दिमाग की लड़ाई है। जब कोई काम मुश्किल लगता है तो भावनात्मक दिमाग़ डराता है और कहता है “कल करेंगे”। यही वक्त सेरोटोनिन (खुशी का केमिकल) गिरने लगता है, और आत्मविश्वास टूटता है।
उदाहरण – कहा जाता है को रावण बहुत से काम कर सकता था जैसे की मौत को वश मे करना। परन्तु वो यही सोचता रहा की आज नहीं कल करेंगे। और एक दिन मौत ने ही उसको वश मे कर लिया।
समाधान – सिर्फ 2 मिनट काम करूंगा का नियम अपनाएं। यह आपके काम की शुरुआत होगी। इसके बाद आपका दिमाग धोखा खाएगा और काम में लग जाएगा।
3. ‘लोग क्या कहेंगे‘ का डर –
विज्ञान क्या कहता है?
हार्वर्ड की एक स्टडी में पाया गया कि 70% लोग अपने सपनों से इसलिए पीछे हट जाते हैं क्योंकि वे “समाज की नज़र” मतलब अगर वो ये काम करेंगे तो “लोग क्या कहेंगे” से डरते हैं। यह डर “कोर्टिसोल” (तनाव हॉर्मोन) बढ़ाता है, जो दिमाग की रचनात्मकता (क्रिएटिविटी) को ब्लॉक कर देता है।
उदाहरण – एक युवा उद्यमी ने सोशल मीडिया पर अपनी फेलियर स्टोरी शेयर की। लोगों ने उसका मज़ाक उड़ाया, पर 1 साल बाद उसकी कंपनी ने 10x ग्रोथ की। उसने कहा, “जब मैंने लोगों को अनदेखा करना सीखा, तब सब कुछ बदल गया ।”
समाधान – ज़ब कभी आपको ऐसा लगे की अगर आप यह फैसला लेंगे तो “लोग आपके बारे मे क्या कहेंगे”। तो आप “3- सेकंड रूल ” अपनाएं। ऐसा कोई भी निर्णय लेते समय, सिर्फ अपने दिल की सुनें। अगर 3 सेकंड से ज़्यादा सोचेंगे, तो दिमाग डर जाएगा। इसीलिए 3 सेकंड ले अंदर फैसला ले और ज़ब फैसला ले ले। तब उस पर अडिग रहे। और यह परवाह ना करें की लोग क्या कहेंगे।
अंतिम सवाल –
क्या आप इन 3 दुश्मनों को चुनौती देने को तैयार हैं? क्या आप भी इन तीन दुश्मनो को हराकर जीवन मे कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचने के लिये तैयार हो तो एक एक्सेपरिमेंट के लिये तैयार हो जाये। जो आपको आपकी सफलता के बीच ख़डी इन 3 बधाओ को पार करने मे सहायता करेगा।
24 घंटे का एक्सपेरिमेंट – अगले 24 घंटे में, इनमें से किसी एक बाधा को तोड़ने की कोशिश करें –
1. एक ऐसा काम करें जिसमें आप “खराब” हों (Fixed Mindset तोड़ें)। मतलब आपके बचपन से ही “आप खुद से” या दूसरे लोग “आपसे यह कहते हो” की यह काम करना “तेरे बस की बात नहीं”। बस आज उसी काम को करे और अपना माइंडसेट को तोड़ अपने दिमाग़ को आजाद करें।
2. कोई टाला हुआ काम “2-मिनट नियम” से शुरू करें।
3. सोशल मीडिया पर अपनी असफलता की कहानी शेयर करें (लोगों के डर को मात दें)।
दिमाग एक मांसपेशी है –
जितना इस्तेमाल करेंगे, उतना मज़बूत होगा। सफलता कोई मंज़िल नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भाषा मे यह “न्यूरॉन्स के नए कनेक्शन” बनाने का सफर है।