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क्या लिखूं उसकी झलक में…

क्या खूब लिखा है तेरी तारीफ में की…तेरी इन मृग जैसी आंखों ने हमारे दिल को सताया है..तेरे से बात करने की कहा इतनी हिम्मत थी बस इन आंखों के जाल ने ही तो हमें बुलाया है….फिदा थे हम तेरी चाल देख कर इस चाल ने ही तो हमें तुम्हारा दीवाना बनाया है…खाना पीना छूट […]

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मनोविज्ञान के वो रहस्य जिन्हे समझ कर आप भी अपनी जिंदगी के जीनियस बन सकते हो। Part -2

1. परिवर्तन के सबसे अद्भुत क्षण अक्सर उन साधारण कामों को करने से आते हैं, जिन्हें दूसरे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। साधारणता को अपनाएँ; यह असाधारण परिणामों की ओर ले जा सकती है। 2. क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि दयालुता के छोटे-छोटे काम कैसे एक लहर जैसा असर पैदा कर सकते हैं? किसी

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जानिए कैसे होगा CET में normalisation..🤯🤯

नॉर्मलाइज़ेशन क्या है?नॉर्मलाइज़ेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई परीक्षा कई शिफ्टों में आयोजित की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य सभी उम्मीदवारों के बीच निष्पक्षता (fairness) बनाए रखना है। जब परीक्षा अलग-अलग शिफ्टों में होती है, तो यह संभव है कि किसी एक शिफ्ट का पेपर आसान हो और

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रमन और निकिता के अनोखे प्यार के जीवन की दासता…

एक बार एक शहर मे एक सुंदर सा लड़का रमन ओर एक प्यारी सी लड़की निकिता रहती थी। रमन एक बेरोजगार युवा था। वह काम की तलाश में शहर आया था। उसके पास रहने के लिए शहर मे कोई मकान नहीं था।  तो वह एक किराए का मकान ढूंढने लगा।  वह ढूंढता ढूंढता निकिता के

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पर्सनल फाइनेंस: अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कैसे बनाएं

आज के समय में पर्सनल फाइनेंस यानी व्यक्तिगत वित्त का सही प्रबंधन करना बेहद जरूरी हो गया है। पैसे का सही इस्तेमाल और उसकी बचत हमें आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है और भविष्य के लिए सुरक्षा देती है। ✅ पर्सनल फाइनेंस क्यों जरूरी है?पैसे को सही तरीके से संभालना और बजट बनाना हमें अनावश्यक

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1. सफलता का रहस्य – सुकरात
sukrat motivational story in hindi
एक बार एक व्यक्ति ने महान Philosopher सुकरात से पूछा कि “सफलता का रहस्य क्या है?” – What is the secret of success?

सुकरात ने उस इंसान को कहा कि वह कल सुबह नदी के पास मिले, वही पर उसे अपने प्रश्न का जवाब मिलेगा।

जब दूसरे दिन सुबह वह व्यक्ति नदी के पास मिला तो सुकरात ने उसको नदी में उतरकर, नदी गहराई की गहराई मापने के लिए कहा।

वह व्यक्ति नदी में उतरकर आगे की तरफ जाने लगा| जैसे ही पानी उस व्यक्ति के नाक तक पहुंचा, पीछे से सुकरात ने आकर अचानक से उसका मुंह पानी में डुबो दिया। वह व्यक्ति बाहर निकलने के लिए झटपटाने लगा, कोशिश करने लगा लेकिन सुकरात थोड़े ज्यादा Strong थे। सुकरात ने उसे काफी देर तक पानी में डुबोए रखा।

कुछ समय बाद सुकरात ने उसे छोड़ दिया और उस व्यक्ति ने जल्दी से अपना मुंह पानी से बाहर निकालकर जल्दी जल्दी साँस ली।

सुकरात ने उस व्यक्ति से पूछा – “जब तुम पानी में थे तो तुम क्या चाहते थे?” व्यक्ति ने कहा – “जल्दी से बाहर निकलकर सांस लेना चाहता था।”



सुकरात ने कहा – “यही तुम्हारे प्रश्न का उतर है। जब तुम सफलता को उतनी ही तीव्र इच्छा से चाहोगे जितनी तीव्र इच्छा से तुम सांस लेना चाहते है, तो तुम्हे सफलता निश्चित रूप से मिल जाएगी।”

2.अभ्यास का महत्त्व

प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढ़ा करते थे।. बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था। बच्चे गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में आश्रम की देखभाल किया करते थे. और अध्ययन भी किया करते थे।

वरदराज को भी सभी की तरह गुरुकुल भेज दिया गया। वहां आश्रम में अपने साथियों के साथ घुलने मिलने लगा।



लेकिन वह पढ़ने में बहुत ही कमजोर था। गुरुजी की कोई भी बात उसके बहुत कम समझ में आती थी। इस कारण सभी के बीच वह उपहास का कारण बनता है।



उसके सारे साथी अगली कक्षा में चले गए लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पाया।
गुरुजी जी ने भी आखिर हार मानकर उसे बोला, “बेटा वरदराज! मैने सारे प्रयास करके देख लिये है। अब यही उचित होगा कि तुम यहां अपना समय बर्बाद मत करो। अपने घर चले जाओ और घरवालों की काम में मदद करो।”



वरदराज ने भी सोचा कि शायद विद्या मेरी किस्मत में नहीं हैं। और भारी मन से गुरुकुल से घर के लिए निकल गया गया। दोपहर का समय था। रास्ते में उसे प्यास लगने लगी। इधर उधर देखने पर उसने पाया कि थोड़ी दूर पर ही कुछ महिलाएं कुएं से पानी भर रही थी। वह कुवे के पास गया।

वहां पत्थरों पर रस्सी के आने जाने से निशान बने हुए थे,तो उसने महिलाओ से पूछा, “यह निशान आपने कैसे बनाएं।”
तो एक महिला ने जवाब दिया, “बेटे यह निशान हमने नहीं बनाएं। यह तो पानी खींचते समय इस कोमल रस्सी के बार बार आने जाने से ठोस पत्थर पर भी ऐसे निशान बन गए हैं।”


वरदराज सोच में पड़ गया। उसने विचार किया कि जब एक कोमल से रस्सी के बार-बार आने जाने से एक ठोस पत्थर पर गहरे निशान बन सकते हैं तो निरंतर अभ्यास से में विद्या ग्रहण क्यों नहीं कर सकता।



वरदराज ढेर सारे उत्साह के साथ वापस गुरुकुल आया और अथक कड़ी मेहनत की। गुरुजी ने भी खुश होकर भरपूर सहयोग किया। कुछ ही सालों बाद यही मंदबुद्धि बालक वरदराज आगे चलकर संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान बना। जिसने लघुसिद्धान्‍तकौमुदी, मध्‍यसिद्धान्‍तकौमुदी, सारसिद्धान्‍तकौमुदी, गीर्वाणपदमंजरी की रचना की।


शिक्षा(Moral):
दोस्तो अभ्यास की शक्ति का तो कहना ही क्या हैं।. यह आपके हर सपने को पूरा करेगी। अभ्यास बहुत जरूरी है चाहे वो खेल मे हो या पढ़ाई में या किसी ओर चीज़ में। बिना अभ्यास के आप सफल नहीं हो सकते हो। अगर आप बिना अभ्यास के केवल किस्मत के भरोसे बैठे रहोगे, तो आखिर मैं आपको पछतावे के सिवा और कुछ हाथ नहीं लगेगा। इसलिए अभ्यास के साथ धैर्य, परिश्रम और लगन रखकर आप अपनी मंजिल को पाने के लिए जुट जाए।

1. सफलता का रहस्य – सुकरात
sukrat motivational story in hindi
एक बार एक व्यक्ति ने महान Philosopher सुकरात से पूछा कि “सफलता का रहस्य क्या है?” – What is the secret of success?

सुकरात ने उस इंसान को कहा कि वह कल सुबह नदी के पास मिले, वही पर उसे अपने प्रश्न का जवाब मिलेगा।

जब दूसरे दिन सुबह वह व्यक्ति नदी के पास मिला तो सुकरात ने उसको नदी में उतरकर, नदी गहराई की गहराई मापने के लिए कहा।

वह व्यक्ति नदी में उतरकर आगे की तरफ जाने लगा| जैसे ही पानी उस व्यक्ति के नाक तक पहुंचा, पीछे से सुकरात ने आकर अचानक से उसका मुंह पानी में डुबो दिया। वह व्यक्ति बाहर निकलने के लिए झटपटाने लगा, कोशिश करने लगा लेकिन सुकरात थोड़े ज्यादा Strong थे। सुकरात ने उसे काफी देर तक पानी में डुबोए रखा।

कुछ समय बाद सुकरात ने उसे छोड़ दिया और उस व्यक्ति ने जल्दी से अपना मुंह पानी से बाहर निकालकर जल्दी जल्दी साँस ली।

सुकरात ने उस व्यक्ति से पूछा – “जब तुम पानी में थे तो तुम क्या चाहते थे?” व्यक्ति ने कहा – “जल्दी से बाहर निकलकर सांस लेना चाहता था।”



सुकरात ने कहा – “यही तुम्हारे प्रश्न का उतर है। जब तुम सफलता को उतनी ही तीव्र इच्छा से चाहोगे जितनी तीव्र इच्छा से तुम सांस लेना चाहते है, तो तुम्हे सफलता निश्चित रूप से मिल जाएगी।”

2.अभ्यास का महत्त्व

प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढ़ा करते थे।. बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था। बच्चे गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में आश्रम की देखभाल किया करते थे. और अध्ययन भी किया करते थे।

वरदराज को भी सभी की तरह गुरुकुल भेज दिया गया। वहां आश्रम में अपने साथियों के साथ घुलने मिलने लगा।



लेकिन वह पढ़ने में बहुत ही कमजोर था। गुरुजी की कोई भी बात उसके बहुत कम समझ में आती थी। इस कारण सभी के बीच वह उपहास का कारण बनता है।



उसके सारे साथी अगली कक्षा में चले गए लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पाया।
गुरुजी जी ने भी आखिर हार मानकर उसे बोला, “बेटा वरदराज! मैने सारे प्रयास करके देख लिये है। अब यही उचित होगा कि तुम यहां अपना समय बर्बाद मत करो। अपने घर चले जाओ और घरवालों की काम में मदद करो।”



वरदराज ने भी सोचा कि शायद विद्या मेरी किस्मत में नहीं हैं। और भारी मन से गुरुकुल से घर के लिए निकल गया गया। दोपहर का समय था। रास्ते में उसे प्यास लगने लगी। इधर उधर देखने पर उसने पाया कि थोड़ी दूर पर ही कुछ महिलाएं कुएं से पानी भर रही थी। वह कुवे के पास गया।

वहां पत्थरों पर रस्सी के आने जाने से निशान बने हुए थे,तो उसने महिलाओ से पूछा, “यह निशान आपने कैसे बनाएं।”
तो एक महिला ने जवाब दिया, “बेटे यह निशान हमने नहीं बनाएं। यह तो पानी खींचते समय इस कोमल रस्सी के बार बार आने जाने से ठोस पत्थर पर भी ऐसे निशान बन गए हैं।”


वरदराज सोच में पड़ गया। उसने विचार किया कि जब एक कोमल से रस्सी के बार-बार आने जाने से एक ठोस पत्थर पर गहरे निशान बन सकते हैं तो निरंतर अभ्यास से में विद्या ग्रहण क्यों नहीं कर सकता।



वरदराज ढेर सारे उत्साह के साथ वापस गुरुकुल आया और अथक कड़ी मेहनत की। गुरुजी ने भी खुश होकर भरपूर सहयोग किया। कुछ ही सालों बाद यही मंदबुद्धि बालक वरदराज आगे चलकर संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान बना। जिसने लघुसिद्धान्‍तकौमुदी, मध्‍यसिद्धान्‍तकौमुदी, सारसिद्धान्‍तकौमुदी, गीर्वाणपदमंजरी की रचना की।


शिक्षा(Moral):
दोस्तो अभ्यास की शक्ति का तो कहना ही क्या हैं।. यह आपके हर सपने को पूरा करेगी। अभ्यास बहुत जरूरी है चाहे वो खेल मे हो या पढ़ाई में या किसी ओर चीज़ में। बिना अभ्यास के आप सफल नहीं हो सकते हो। अगर आप बिना अभ्यास के केवल किस्मत के भरोसे बैठे रहोगे, तो आखिर मैं आपको पछतावे के सिवा और कुछ हाथ नहीं लगेगा। इसलिए अभ्यास के साथ धैर्य, परिश्रम और लगन रखकर आप अपनी मंजिल को पाने के लिए जुट जाए।
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महान पुरूष भगत सिंह की जीवनी।

भगत सिंह (28 सितंबर, 1907 – 23 मार्च, 1931) एक प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के लायलपुर जिले में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। भगत सिंह को 23 साल की उम्र में ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी थी, जिसके बाद वह भारतीय स्वतंत्रता

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तीन दोस्तो के संघर्ष पर सफलता की कहानी।

आइए दोस्तो आज की कहानी है तीन दोस्तो की – एक बार एक समय की बात है रामनगर में तीन दोस्त एक साथ रहते थे। वे बिल्कुल निठल्ले रहते थे। उनके पास काम धंधा कुछ नहीं था। वे पूरा दिन अपने घरवालों के पैसे से मजे करते ओर सुख की जिंदगी जी रहे थे।  उनकी

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एक चालाक साधु ओर उसके दुष्कर्मों की कहानी।

एक समय में बसंतपुरा गांव में कोई भी साधु नहीं रहता था जो उस गांव के विशाल मंदिर की बागडोर संभाल सके। बहुत वर्षों पहले उस गांव के मंदिर में एक साधु रहता था। जो मंदिर की पूरी बागडोर संभालता था। उस साधु को शास्त्र विद्या का भी संपूर्ण ज्ञान था। उस गांव में जो

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समय अनमोल है। क्यों समय पैसे से भी ज्यादा कीमती है?

समय अनमोल है – वह दिन जब मैंने समय गँवा दिया एक छात्रा की कहानी सोचिए जो परीक्षा से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर वीडियो देखते हुए पूरी रात बिता देती है। अगले दिन, वह न केवल फेल होती है, बल्कि उसे एहसास होता है कि वह 24 घंटे वापस नहीं ले सकती। यह

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