आइए दोस्तो आज की कहानी है तीन दोस्तो की
एक बार एक समय की बात है रामनगर में तीन दोस्त एक साथ रहते थे। वे बिल्कुल निठल्ले रहते थे। उनके पास काम धंधा कुछ नहीं था। वे पूरा दिन अपने घरवालों के पैसे से मजे करते ओर सुख की जिंदगी जी रहे थे। उनकी जिंदगी की सबसे अच्छी चीज उन्हें लगता था कि वे सिर्फ सारा दिन पैसे से मौज मस्ती करे और कुछ न काम न करे। परन्तु धीरे धीरे उनको अपनी जिंदगी बोरिंग सी लगने लगी। उन्हें लगने लगा कि रोज रोज वहीं काम शुभ उठे खाए पिए सो गए। न हमारे पास कुछ काम है। न हम पढ़ाई करते है। बस आवरों की तरह पूरा दिन रहते है। फिर एक दोस्त ने बोला कि हम कही बाहर घूमने चलते है। ओर जिंदगी के कुछ हसीन पल जी कर आते है। तीनों दोस्त अपने अपने गर जाकर अपने घरवालों से इसके लिए पैसे मांगते है। परन्तु उनके घरवाले कहते है कि तुम कुछ काम नहीं करते न पढ़ाई तो पेस क्यों दे हम। घरवाले कहते है कि तुम इतने बड़े हो गए हो कि तुम्हे अपने पैरों मै खड़ा होना अब सीखना पड़ेगा। कब तक तुम्हारे मा बाप तुम्हे अपने पैसों से खिलाएंगे। तीनों दोस्त उनसे आखरी बार पैसे लेने की कह कर वहा से चले जाते है। रस्ते में उन्हें एक बुढा व्यक्ति मिलता है और पूछता है कि बेटा तुम खा से हो ओर कहा जा रहे हो। तीनों दोस्त बताते है कि हम तो रामनगर गांव से है और घूमने के लिए जा रहे है। वो आदमी पूछता है कि बच्चों क्या करते हो तुम। पढ़ाई करते हो या कुछ काम। तीनों दोस्त बोलते है कि हम कुछ नहीं करते। वो बूढ़ा व्यक्ति बोलता है कि बेटा तुम्हे कुछ न कुछ काम करना चाहिए जिससे तुम्हारा गर चले ओर अपने पैरों पर खड़े हो जाओ तुम। तीनों दोस्त बूढ़े अंकल की बात सुनते है और आगे चलते है। तभी उनमें से एक दोस्त बोलता है कि वो अंकल सही कह रहा था और यही बात हमारे घरवाले भी कहे रहे थे। तीनों दोस्त वहीं रुक कर इस बात का बारे में सोचते है और कहते है कि हमें लगता है कि हमें कोई काम जरूर करना चाहिए। ऐसे कब तक हम अपने घरवालों के पैसे से जीयेंगे। तीनों दोस्त फैसला करते है कि हम कही शहर मे जाएंगे और वहां अपना कोई काम धंधा करेंगे। तीनों दोस्त अपने अपने घर फोन करके कह देत है कि हम तो ये पैसे लेकर शहर जा रहे है और अपना कुछ काम करके ओर अपनी कमाई लाकर आप लोगों को देगे। ये सुनकर उनके घरवाले खुश हो जाते है और कहते है कि जाओ बेटा जाओ अपने काम में सफल हो। घरवालों का आशीर्वाद लेकर चारों सहर के तरफ चल पड़ते है। सहर जाकर तीनों सोचते है कि हम गर से तो आ गए अब हम काम क्या करेंगे। तभी एक दोस्त कहता है कि हम अपना खुद का एक बिजनेस करेंगे और खूब मेहनत करेंगे उसमें। वे बोलते है कि हम किस चीज का बिजनेस करे। तभी एक दोस्त कहता है कि अभी तो श्याम हो गई है अभी हम एक कही ठहरने की जगह देखते है और रात को आराम से सोचेंगे। रात को खाने के बाद एक दोस्त कहता है कि हम सहर मै अपनी एक दुकान खोलते है और बहुत मेहनत करके पैसे कमाएंगे। सभी को दुकान वाला इडिया पसंद आता है और वे ठान लेते है कि हम तो दुकान ही खोलेंगे। उनके हौसला देख कर उनके इरादे बुलंद लग रहे थे। कुछ समय बाद उन्होंने एक दुकान खोली और बहुत मेहनत करी। उन्होंने अगले 5- 6 महीने में बहुत अच्छी कमाई की ओर खुशी खुशी जिंदगी जी रहे थे। फिर उनकी जिंदगी मै एक मोड आता हैं और तीनों का मन मोहमाया की तरफ भटक जाता है। तो अब जानते है कि कैसे उन तीनों दोस्तो की दुकान बंद होने के कगार पर आग्यी। तीनों दोस्तो के मन में लालच की भावना जागने लगी। एक दिन एक दोस्त बोला कि हमारी इस महीने की कितनी कमाई हुई। जितनी भी कमाई हुई है उनमें से अब हम हिस्सा करेंगे। एक दोस्त बोला ये गलत है। हम एक साथ रहते है तो हिस्सा क्यों करे। दूसरे के अंदर लालच जाग हुआ था तो उसने इस के लिए लड़ाई करी उनके साथ। आखिर मैं तीनों दोस्तो के मन में इसके लिए सवाल उठने लगे और तीनों ने वो दुकान बेच कर ओर पैसे को तीन हिस्सों मे बाटकर अलग अलग रहने लगे। तीनों ने अलग अलग जगह ठहरने का फैसला किया। ओर फिर कुछ दिन बाद तीनों अलग अलग जगह काम करने लगे। तीनों का काम अलग अलग हो गया था और कम पैसों से उनका गुजरा ना हुआ। परन्तु अपने घमंड में उन्होंने एक दूसरे को ये नहीं बताया कि उनके पास पैसों की तंगी है और वे अब घरवालों के पास पैसे नहीं भेज पा रहे ओर न ही अपने शोक पूरे कर पा रहे। एक दिन जिंदगी के एक मोड पर तीनों दोस्त एक दूसरे को मिलते है और तीनों का चेहरा लटका हुआ था। उनमें से एक दोस्त बोलता है कि क्या हुआ तुम्हारा चेहरा ऐसे क्यों लटका हुआ है। सभी एक दूसरे की तरफ देखने लगते है कि पहले ये बताएगा अपनी मजबूरी। परन्तु उनमें से कोई भी नहीं बोला ओर तीनों की आंखों में आंसु थे। तभी तीनों इकठ्ठे बोलते है और अपनी अपनी मजबूरी बताते है। फिर तीनों अपनी अपनी समस्याओं के बारे में सोचते है और कहते है कि हमारी समस्या का क्या हल हो सकता है। तभी वहां पर वहीं बूढ़ा आदमी आता है और उनसे पूछता है कि क्या हो गया बेटा। तीनों अपनी अपनी समस्या बताते है ओर साथ मै बताते है कि हमने उसी दिन से अपना काम चालू कर दिया था और बाद में लालच मै आकर हमने दुकान बेच कर अपना अलग अलग कम शुरू किया। फिर बूढ़े आदमी ने बताया कि बेटा तुम्हारी समस्या का हल तुम्हारी परेशानी के अंदर ही है। यह बात सुन कर तीनों ने अपनी अपनी समस्या का बारे में सोचा। परन्तु उनके दीमक मै तो लालच था। फिर बूढ़े आदमी ने बताया कि जब तुम्हार तीनों की इकट्ठी दुकान थी तो कितनी अच्छी चली थी और कितनी कमाई थी। उस बूढ़े व्यक्ति ने बताया कि आग तुम तीनों एक साथ रहते तो आज तुम जिंदगी मै बहुत कामयाब होते। इसी बात पर बूढ़े आदमी ने उदाहरण दिया कि बेटा मान लो तुम्हारे पास एक बड़ा लकड़ी का गट्ठा है। ओर तुम्हे उसे बहुत दूर तक अकेले अकेले को लेके जाना है। क्या तुम ले जा पाओगे। तीनो मना कर देते है और कहते है कि अकेले तो नहीं परन्तु तीनों एक साथ मिल कर ले जाएंगे। तभी बूढ़ा आदमी कहता है कि यही बात मै तुम लोगो समझाना चाह रहा हु कि तुम तीनों एक साथ रह के उस काम को अच्छे से कर सकते हो और उसमें सफल भी होगे परन्तु अगर तुम उसी काम को अकेले एकल करोगे तो वो काम पूरा नहीं होगा। ओर अंत में तीनों इस बात को समझ जाते है और उस दुकान को दोबारा से खोलते है और चलाते है। तीनों उस दुकान पर दोबारा से बहुत मेहनत करते है और खूब पैसे कमाते है। दोस्तो इस भाग से हमें पता चलता है कि एकता मै ही बल होता है और जो कार्य हम मिल कर कर सकते है वो काम हम अकेले अकेले नहीं कर सकते। ,