
दोस्तों आदतें। वैसे तो एक छोटा सा शब्द है परन्तु बहुत से लोग नहीं जानते की यह शब्द हमारी पूरी जिंदगी हीं बदल देता है। कहा जाता या तो आदतें बदल लो नहीं तो ये आपकी पूरी जिंदगी बदल देंगी।
अब कुछ लोग परेशान होते रहते है की हमने जिंदगी मे कुछ नहीं किया। हम सफल नहीं हो पाए। परन्तु उन बेचारो को कौन समझाये की सफलता उन लोगों को मिलती है जिनके पास अच्छी आदतें होती है। जो खुद पर काम करते है।
एक पुरानी कहावत है की खुद को बदलो दुनिया अपने आप बदल जाएगी। आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। अगर आपकी भी कोई बुरी आदत आपका पीछा नहीं छोड़ रही तो हम आपको बतायेगे की कैसे बुरी आदतों को अच्छी आदतों मे बदला जा सकता है।
अब आप एक बार सोच कर देखो की आपको किसी व्यक्ति की बातें बिलकुल अच्छी नहीं लगती। और वह आपको हर समय डांटता रहता है। और वह और कोई नहीं आपका बॉस है। इसीलिए उसकी डांट सुनना आपकी मजबूरी है तो आप क्या करोगे। सीधी सी बात है की एक सामान्य आदमी दुखी हीं होगा।
क्योंकि वह सोचता है की समस्या उसका बॉस है जो उसको डांटता है। और वह तब खुश हो सकता है या तो बॉस बदल जाए या फिर उसका स्वभाव बदल जाए और वह उसको डांटना बंद कर दे। परन्तु दोस्तों यह बिलकुल गलत है। अपने बॉस के स्वभाव से खुद को ख़ुश या दुख देना आपकी एक गलत आदत है।
और तब तक आप ये आदत नहीं बदल लेते तब तक आप अपने बॉस और नौकरी से दुखी रहोगे। दोस्तों अब आप सोच कर देखो। आपको क्या आसान लगता है आपके बॉस को बदलना या खुद को बदलना। वैसे तो सभी को खुद को बदलना हीं आसान काम लगेगा। मगर यह इतना भी आसान नहीं है।
हाँ पर ये बात सही है की किसी दूसरे को बदलने की बजाय खुद को बदलना आसान है। और खुद को बदलने के लिये हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी। अपने सोचने का तरीका बदलना होगा। पर क्या दोस्तों यह इतना आसान है। इसका उत्तर है नहीं। क्योंकि ये आदतें हीं है जो व्यक्ति को महान बनाती है।
अब अगर आदतें बदलना इतना आसान होती तो फिर हर सामान्य व्यक्ति महान बन जाता। परन्तु कहते है ना अगर व्यक्ति चाहे तो क्या नहीं कर सकता। और इसी प्रकार हम अपनी इन आदतों को भी सुधार सकते है। परन्तु इनके लिये संयम और निरंतरता के साथ – साथ आत्मविश्वास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जरूरत है।
अब आप सोच रहे होंगे की आदतें सुधारने के लिये हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रयोग कैसे कर सकते है तो मै आपको बताऊ की यह हमारी आदतें बदलने के लिये बहुत जरूरी है। इसकी सहायता से हम अपनी इस आदत सुधारने वाली यात्रा को आसान बना सकते है।
अब शुरुआत करते है –
दोस्तों अब हम अपनी आदतें सुधारने वाली यात्रा की शुरुआत करते है। अब ये तो सबको पता है की सुबह उठना अच्छा है, कम खाना अच्छा है इत्यादि। परन्तु क्या हम इन्हे अपने जीवन मे अपना पाते है। ऐसा नहीं के लोगों को ये नहीं पता की अच्छी आदतें कोनसी है। और उनको अपनाने से हमें क्या फायदे होंगे।
ये सब लोगों को पता है। परन्तु फिर भी वो इनको जीवनभर अपना नहीं पाते। अब आप मुझको हीं देख लो। मै अपने जीवन मे सालों तक रोज अपने आपको यही कहकर सोता की सुबह उठ कर दौड़ लगाऊंगा। मगर कभी कभार को छोड़ इसे कभी भी नियमित नहीं कर पाया।
परन्तु अब मै पिछले एक साल से इसको नियमित कर रहा हूँ। क्योंकि मैंने आदतें सुधारने के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया। मैंने सबसे पहले खुद को समझा की मेरा शरीर और दिमाग़ किस तरह की प्रक्रिया को अपनाता है।यह जरूरी नहीं की दौड़ लगाने के लिये आपको सुबह चार बजे हीं उठना जरूरी है।
नहीं ऐसा कुछ नहीं। हम इसी आदत का उदाहरण ले लेते है। व्यायाम करना एक अच्छी आदत है। इसलिए हमें हर रोज व्यायाम करना चाहिए। परन्तु इसके लिये आप समय अपनी इच्छानुसार चुन सकते हो। कोई जरूरी नहीं के आपको सुबह हीं व्यायाम करना है। बल्कि आप इसे शाम को भी कर सकते हो।
परन्तु आपकी आदत मे व्यायाम करना जरूरी होना चाहिए। अब इस आदत का वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है की व्यायाम करना जरूरी है पर ये कोई जरूरी नहीं की यह किस समय करें। बस ज़ब भी दिन मे आपका दिल करें तभी आप व्यायाम कर सकते हो। व्यायाम एक अच्छी आदत है और इसके हजारों फायदे है।
इसी प्रकार पढना भी एक अच्छी आदत है। और एक नियम बनाना चाहिए की मुझे रोजाना इतना पढना है। ज़ब भी आपका फोकस सबसे ज्यादा हो जो आमतौर पर शाम के समय होता है।तभी आप पढ़ सकते हो। आप अपने आपको समय के अनुसार मत बांधो बल्कि अपने आपको इस अनुशासन मे बांधे की यह काम मुझे करना हीं करना है। और ज़ब मेरा मन करेगा तभी कर दूंगा।
देखो अगर आप अपनी आदतों को समय के अनुसार बांधोगे तो आपके लिये ये आदतें अपनाना कठिन हो जायेगा। क्योंकि अगर आप तय समय पर उस काम को पूरा ना कर पाए तो आप उस दिन उस काम को पूरा नहीं के पाओगे। और आप उसे टाल दोगे। और फिर यही टालने की गलत आदत आपके पीछे पड़ जाएगी। इसीलिए आदत तो अपनाओ पर उसको समय मे मत बांधो।
अब आप एक अच्छी आदत के बारे मे सुना होगा की सुबह जल्दी उठना चाहिए। परन्तु पहले तो अपने शरीर को समझाये की सुबह उठना अच्छा होता है। और फिर आपको इसलिए आदत को धीरे – धीरे अपनाना है। जैसे की अगर आप सुबह 10 बजे उठते हो तो आप पहले दिन 9.45 का अलार्म भरे।
अब यह मत सोचे की रात को भी 15 मिनट पहले सोये। क्योंकि ऐसा करने से आपको रात को नींद और भी लेट आ सकती है। क्योंकि आपके दिमाग़ पर बोझ होगा की आज 15 मिनट जल्दी सोना है और वह इसी दवाब के चलते आपको लेट तक जगा सकता है।
इसीलिए रात को जैसे सोते हो वैसे हीं सोये और सुबह 15 मिनट पहले उठे। अब आप ऐसे हीं अपना उठने का समय धीरे – धीरे सुबह जल्दी कर सकते हो। और ज़ब ऐसा करोगे शाम को अपने आप जल्दी नींद आने लगेगी। और इसी वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाकर आप जल्दी उठने की आदत अपना सकते हो।
इसी प्रकार आप अपनी प्रत्येक आदत को धीरे – धीरे बदलो। अपनी छोटी – छोटी बुरी आदतों को अच्छी आदतों मे बदलो और खुद को बेहतर बनाओ। क्योंकि कई लोग एकदम अपने आपको बदलने का प्रयास करते है। जिसमे वो सफल नहीं हो पाते जिस कारण उनका आत्मविश्वास घटता है।
इससे इनकी इच्छाशक्ति कमजोर होती है। और वें बार – बार विफल होने के कारण खुद को कमजोर समझने लगते है। इसीलिए छोटे – छोटे मगर स्थायी बदलाव जीवन मे प्रभावी होते है।
दोस्तों शुरू से हीं अपने अंदर बड़े बदलाव ना करके छोटे – छोटे बदलाव करे। ज़ब ये बदलाव नियमित हो जाये तब आप अपने अंदर खुद ब खुद बड़े बदलाव देखेंगे। क्योंकि हम छोटे – छोटे बदलाव करके खुद को पहले से बेहतर बना सकते है।
आप अपने जीवन मे जो छोटी – छोटी गलतियां रोज दोहराते हो उनको सुधारो। जो बाद मे आपको बढ़ा तोहफा देंगी। अगर अपने आपको एकदम सुधारने जाओगे तो फिर वही अपने आपको पाओगे जहाँ से शुरुआत की थी।
क्योंकि जिस इमारत की नींव जितनी मजबूत होंगी वह उतनी हीं मजबूत होंगी। इसीलिए इमारत बनाने से पहले उसकी नींव पर ध्यान दो। इसीलिए अपने अंदर छोटे – छोटे सुधार करो और उनको निरंतर रखो। फिर देखना आपकी जिंदगी पहले से बहुत बेहतर हो जाएगी।