एक व्यक्ति अपने जीवन भर मे कितना बोझ उठा कर चलता है। जीवन मे हर पड़ाव पर जिम्मेदारी और तनाव आते रहते है। और व्यक्ति उन जिम्मेवारियों और तनावो को इस तरह अपने जीवन मे अपनाता है की जैसे वह इस दुनिया मे अमर है। जैसे की उसको यहाँ से जाना हीं नहीं।

परन्तु मृत्यु एक सार्वभौंमिक सत्य है। यह निश्चित है की जो जन्मा है उसकी मृत्यु तय है। और ज़ब भी हमको ज्यादा तनाव हो या ज्यादा जिम्मेवारियों का एहसास हो तो हमें एक बार मृत्यु को जरूर याद कर लेना चाहिए।
क्योंकि ये जिम्मेवारिया ऐसे हीं चलती रहेगी। ये आज हमारे सिर पर है तो इनको कल हमारे जाने के बाद कोई और उठा लेगा। यह दुनिया कभी हो रूकती।
अब हम बात करते है की हम ज्यादातर कैसा जीवन जी रहे है –
आज हम सबसे पहले यही बात करते है की हम मे से ज्यादातर लोग कैसा जीवन जी रहे है। अगर सही मायने मे देखे तो लोग बस जी रहे है। मतलब बस जिंदा है। वो अपने जीवन को बस काट रहे है। बस सुबह की शाम और शाम की सुबह।
अब आप खुद की हीं जिंदगी को अनुभव करके देखो। क्या आप कभी जीवन मे इतने आनंदित हुए हो की उस आनंद मे सब कुछ भूल गए हो। मुझे नहीं लगता को किसी का उत्तर हाँ होगा। क्योंकि हम खुद हीं अपने जीवन को इतना कठोर बना रहे है।
हम खुद अपने आपको इतना बोझ और तनाव दे रहे है की हम जीवन के मतलब को हीं भूले जा रहे है। हमने खुद अपना जीवन पशुओं से भी बदतर बना लिया है। हम कुछ भी कहा रहे है, कुछ भी सोच रहै है, कुछ भी देख रहे है।
दोस्तों अब आप एक छोटी सी बात समझो। ज़ब किसी जानवर को भूख लगती है तो वह कुछ भी खा लेता है। क्योंकि उस बेचारे के पास खाने के ज्यादा ऑप्शन नहीं होते और ना हीं उसके पास इतनी समझ होती। मगर मनुष्य के पास तो समझ है फिर वह उन चीजों को क्यों खाता है जो उसके लिये नुकसान दायक है।
इसी तरह वह ऐसी बातें क्यों सोचता है जो उसको तनाव देती है।क्या हम यह तो नहीं सोच बैठे की हम अमर है। क्या हम ये तो नहीं सोच बैठे की हमारे बिना यह दुनिया अकेली पड़ जाएगी। अगर ऐसा है तो यह गलत है।
क्योंकि हम बेवजह हीं दुनिया का बोझ हमारे सिर पर उठा के रखते है। हर कार्य करने से पहले यह सोचते रहते है की वो क्या कहेगा या फिर ये क्या कहेगा। अरे भाई कोई कुछ भी कहे यह जीवन तो आपका है। फिर आपको अपनी मर्जी से जीवन जीना है या फिर लोगों को देख कर।
अगर आप लोगों के हिसाब से जीने लग गए तो समझो आप जीवन भर के लिये तनाव मे आ चुके हो। अब एक छोटा सा उदाहरण हीं ले लो शादी मे खाने का। अगर आप शादी पर ज्यादा खर्च करते हो तो लोग कहेंगे यह कर्जे मे डूब जायेगा। और ना जाने क्या – क्या कहते है।
इसी प्रकार ज़ब कम खर्च करते हो तो आपको लोगों द्वारा कंजूस बताया जाता है। अब ये तो लोग है कुछ ना कुछ तो कहेंगे हीं। अगर इनकी सुनोगे तो समझो आप तो गए। आपका जीवन मे कुछ नहीं हो सकता। क्योंकि जो लोग कह रहे है और जिनके सुनने पर आप अपना जीवन जी रहे हो दरअसल वो लोग कभी चाहते हीं नहीं की आप जीवन मे कभी कोई अच्छा कार्य करो।
बल्कि वो तो चाहते है की आप सदा उनसे निचे रहो। और उनकी सुनते रहो। और हाँ ज़ब भी आपकी मृत्यु होंगी ये लोग सिर्फ आपको तेहरवीं तक हीं याद करेंगे। उसके बाद इनकी बातो मे भी आप नहीं मिलोगे। चाहे आपने इनके अनुसार कितने भी अच्छे या बुरे काम किये हो।
आजकल के लोग ज्यादा तनाव मे इसीलिए रहते है की अगर मै ये करूंगा तो लोग क्या कहेंगे। अरे भाई ये आपकी जिंदगी है लोगों की नहीं। इसे जी भर के जियो। आप कुछ भी कर लो लोग तो कहेंगे हीं। क्योंकि उनका काम हीं कहना है।
इसी बीच मुझे एक शायर याद आता है जिसने कहा की –
दिल से साबित करो की जिंदा हो, सांस लेना कोई सबूत नहीं,
अब कुछ लोग बेमतलब का तनाव जीवन मे रखते है। अब मै खुद की हीं बात करू। ज़ब मै छोटा था तो बिना मतलब के मुझे तनाव हो जाता था की कहीं मै डूब तो ना जाऊ। क्योंकि मुझे पानी से बहुत डर लगता था। और मै रात को सोता – सोता भी उठ जाता था और तनाव मे आ जाता था।
जब यह दिक्क़त बहुत ज्यादा बढ़ गयी तो मुझे डॉक्टर से दवाई दिलवाई गयी। परन्तु यह बात मेरे मामा जी को पता लगी तो तो मुझे अपने गांव ले गए। क्योंकि वहां बहुत बड़ी नदी थी जिसको देख अक्सर मै डरता था। तो मामा जी एक दिन खेत के बहाने मुझे नदी के घाट मे लेकर गए।
वहां पहले से कुछ लड़को को बोल रखा था की इसको तैरना नहीं आता इसीलिए तैयार रहना। और बात करते करते मामा जी ने मुझे पुल से निचे धक्का दे दिया। इसके साथ कुछ लडके भी मेरे साथ कूद गए ताकि मै डूब ना जाऊ। परन्तु मै अपने आप को बचाने के लिये हाथ – पैर मारने लगा।
मुझे पता हीं नहीं लगा की मेरे साथ क्या हुआ। और मैंने देखा की मै नदी मे तैर रहा था। मुझे मजा आ रहा था। और मै अपने आप पर हंस रहा था की मै कितना पागल था जो जिस चीज से इतना डरता था उसमे तो मजा हीं बहुत आता है। और उसके बाद मै पानी से कभी नहीं डरा।
इसीलिए हम कुछ बातो का तो तनाव इस मस्तिष्क पर बेवजह रखते है। जबकि ऐसा कभी कुछ भी जीवन मे नहीं होता। अब आपको मै एक फार्मूला देता हूँ जिससे आप इस बेवजह ले तनाव से बच सकते हो। क्योंकि यह बेवजह का तनाव किसी भी प्रकार का हो सकता है।
ज़ब भी जीवन मे ऐसा तनाव आये जिसकी कोई वजह हमारे पास नहीं है बल्कि बस हमें डर लगता है की कहीं ऐसा ना हो जाये तो सबसे पहले आराम से बैठ कर सोचे की जो आप सोच रहे हो अगर ऐसा हो जाये तो सबसे ज्यादा आपको कितना नुकसान हो सकता है।
अब सबसे ज्यादा उस नुकसान की कीमत आपकी जान हो सकती है क्योंकि ज़ब आप हीं इस दुनिया से चले जाओगे फिर तो चाहे जो हो आपको फर्क हीं नी पड़ता। तो यही सोचते है की आपको डर है की आपकी मृत्यु हो सकती है। अब आराम से सोचे की जो मृत्यु है वो सबकी निश्चित होनी है।
अब यहाँ चाहे कोई भी पैदा हुआ हो उसकी मृत्यु निश्चित है। तो फिर उससे क्यों घबराना। जीवन मे प्रत्येक घटना निश्चित है। और अगर हमें ज्यादा से ज्यादा नुकसान होगा तो वह हमारी जान के रूप मे हीं होगा। परन्तु जो तनाव हम रोजाना ले रहे है सोच कर देखो क्या वह तनाव मौत से कम है।
इसीलिए रोजाना मरने की बजाय रोजाना जिये। क्योंकि मृत्यु तो निश्चित है इसीलिए जीवन का आनंद उठाये। लोग कहते है की जोवन एल बार मिलता है। मगर दोस्तों जीवन तो हर रोज मिलता है। बल्कि मृत्यु एक बार मिलती है।
इसीलिए इसे जी भर कर जिये। दोस्तों आपके जाने से यह दुनिया नहीं रुकने वाली। और आपके ज्यादा जिम्मेवारिया लेने से ना मौत रुकने वाली। इसीलिए इतना जिंदगी है खुल कर जियो। इसके प्रत्येक पल का आनंद ले। क्योंकि आपने जीवन कितनी जिंदादिली से जिया बस इसी की बातें होंगी।