डिप्रेशन – एक मूक संघर्ष
डिप्रेशन, या अवसाद, आज के समय में एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। यह न सिर्फ व्यक्ति के मन को प्रभावित करता है, बल्कि उसके शारीरिक स्वास्थ्य, रिश्तों और जीवनशैली को भी गहराई से प्रभावित करता है।
फिर भी, समाज में इसके बारे में बात करने में लोग अक्सर झिझक महसूस करते हैं। आइए, आज हम डिप्रेशन के बारे में गहराई से समझें और इससे निपटने के तरीकों पर चर्चा करें।

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डिप्रेशन क्या है?
डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति लगातार उदासी, निराशा और अकेलापन महसूस करता है। यह इतना गंभीर होता है की व्यक्ति आत्महत्या तक कर लेता है।
यह सिर्फ एक बुरे दिन या मूड स्विंग नहीं है, बल्कि एक लंबे समय तक चलने वाली स्थिति है जिसमे व्यक्ति लम्बे समय तक उदासी, निराशा और अकेलापन महसूस करता है। जिससे व्यक्ति की दैनिक जीवनचर्या प्रभावित होती है।
डिप्रेशन के लक्षण
- मानसिक लक्षण ( mental symptoms) –
- लगातार उदासी या खालीपन महसूस करना – व्यक्ति खुद को बिलकुल अकेला महसूस करता है। लगातार उदास रहता है।
- जीवन से रूचि खो देना – डिप्रेशन मे व्यक्ति जीवन से बिलकुल रूचि खो देता। उसे प्रत्येक चीज नीरस दिखती है।
- फोकस की कमी – डिप्रेशन मे व्यक्ति को किसी भी चीज पर फोकस करने मे दिक्क़त आती है। क्योंकि वह लगातार अपने ही विचारों से परेशान रहता है।
- लगातार नकारात्मक विचार आना – ऐसे व्यक्ति को लगातार नकारात्मक विचार आते है।
शारीरिक लक्षण ( physical symptoms ) –
- उत्साह और ऊर्जा की कमी – डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति मे उत्साह और ऊर्जा की कमी रहती है। वह किसी भी चीज मे उत्साह नहीं दिखाते।
- भूख मे अनियमितता – भूख या तो ज्यादा लगेगी या फिर बहुत कम लगेगी। ऐसा व्यक्ति कभी कम खायगा कभी ज्यादा।
- नींद मे अनियमितता – ऐसा व्यक्ति नींद की कमी या अधिकता से दुखी रहता है। या तो वह बहुत कम सोता है या फिर बहुत ज्यादा।
- शरीर का थका – थका रहना – ऐसे व्यक्ति का शरीर हर समय थका – थका रहता है।
- भावनात्मक लक्षण ( emotional symtoms ) –
- अपराधबोध या नाकारा महसूस करना – ऐसा व्यक्ति खुद को दोषी व अपराधबोध जैसी लक्षणो को महसूस करता है। वह सोचता है की वह कुछ नहीं कर सकता।
- चिड़चिड़ापन या गुस्सा आना – डिप्रेस्ड व्यक्ति ज्यादातर समय चिड़चिड़ा और गुस्से मे रहता है
- आत्महत्या के विचार आना – डिप्रेस्ड व्यक्ति को लगातार आत्महत्या के विचार आते रहते है। क्योंकि वह जीवन मे असहाय महसूस करता है।
डिप्रेशन के कारण ( causes of depression ) –
- जैविक कारण – ज़ब मस्तिष्क में किसी भी प्रकार का केमिकल असंतुलन हो जाता है जैसी – सेरोटोनिन, डोपामाइन इत्यादि तो भी डिप्रेशन हो सकता है।
- पारिवारिक इतिहास – अगर परिवार में किसी को डिप्रेशन रहा हो तो भी व्यक्ति को डिप्रेशन हो सकता है।
- तनावपूर्ण घटनाएं – जीवन की कोई भी बड़ी घटना जिससे व्यक्ति को बहुत दुख पहुंचता है जैसी – कोई रिश्ता टूटना, बहुत बड़ी असफलता, या फिर किसी प्रियजन की मृत्यु इत्यादि हो सकती है।
- शारीरिक बीमारिया – मधुमेह, थाईरोइड या फिर कोई क्रॉनिक बीमारी जिससे कोई व्यक्ति लम्बे समय से ग्रसित है वह डिप्रेशन का शिकार हो सकते है।
- सामाजिक कारण – अगर व्यक्ति अकेला रहता है या फिर वह खुद को दुसरो से कम आंकता है जिसे हम हीन भावना भी कह देते है।
डिप्रेशन से कैसे निपटें ( How to fight with depression ) –
चिकित्सक को मिले –
1. मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से सलाह लें – अगर आपको ये सारे लक्षण दिखाई देते है तो आपको किसी मनोविज्ञानिक या पेशेवर से सलाह लेनी चाहिए।
2. थेरेपी (जैसे CBT) या दवाइयों का सहारा लें – आप अगर डिप्रेशन से गुजर रहे हो तो CBT जैसी थेरेपी की मदद ले सकते हो।
जीवन शैली मे बदलाव करके –
1.खूब नींद ले – डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति को खूब नींद लेनी चाहिए।
2. व्यायाम करें – डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति को नियमित व्यायाम करना जरूरी है। यह व्यक्ति को डिप्रेशन से निकलने मे मदद करता है।
3. योग और मैडिटेशन प्रैक्टिस करें – ऐसे व्यक्ति को नियमित रूप से योग और ध्यान की प्रैक्टिस करनी चाहिए। यह आपके मन को शांति देगा।
4. सकारात्मक सोच रखे – ऐसे व्यक्ति को सदा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। हालांकि यह इतना आसान नहीं है परन्तु आप इसके लिये कोशिश कर सकते हो।
सामाजिक समर्थन –
1. डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति को सदा अपने सगे संबंधियों और अपने खास मित्रों से बात करनी चाहिए। उन्हें धीरे – धीरे अपनी स्तिथि समझानी चाहिए ताकि वें आपकी सहायता कर सके।
2. सहायता समूहों मे शामिल हो – ऐसे बहुत से सहायता समूह है जो डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्तियों के लिये सहायता समूह चलाते है। डिप्रेस्ड व्यक्ति को उनकी मदद लेनी चाहिए।
शौक व रुचिया –
1.डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति को अपने शौक व रुचियों को जीवंत रखना चाहिए। डिप्रेस्ड व्यक्ति को हमेशा नई – नई चीजों मे अपनी रूचि दिखानी चाहिए।
असल मे तो डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति को ये सभी बातें बेकार लगेंगी। क्योंकि वह खुद के विचारों मे इतना उलझा रहता है की उसे सब झूठ लगता है और वह इस डिप्रेशन की स्तिथि को ही अपना भाग्य मान लेता है। परन्तु अगर वह इस स्तिथि को एक बीमारी मान ले तो वह जल्दी ठीक हो सकता है।
क्योंकि अगर वह इसे अपना भाग्य मान लेता है तो वह कभी कोशिश ही नहीं करेगा और इसी स्तिथि मे रहेगा। परन्तु अगर वह इसे सिर्फ एक बीमारी मानता है जो असल मे एक बीमारी है तो वह बहुत जल्द ही ठीक हो जायेगा। क्योंकि बीमारी का इलाज संभाव है भाग्य का नहीं।
यही एक मानसिक स्तिथि उसे डिप्रेशन से उबरने मे बहुत मदद करेगी। और ज़ब वह डिप्रेशन को सिर्फ एक बीमारी की तरह लेता है तो उसके मन मे एक आशा जगती है की हर बीमारी का इलाज संभव है तो इस बीमारी का इलाज भी सम्भव है। और वह इसी एक विचार के सहारे इस बीमारी से बाहर आ जाता है।
मगर यह बीमारी तब लाइलाज बन जाती है ज़ब डिप्रेस्ड व्यक्ति इसे अपना भाग्य मान लेता है। इसीलिए डिप्रेशन एक बीमारी है और इसे एक बीमारी की ही तरह ले। कृपया इस स्तिथि को अपना भाग्य मत माने।
इसका इलाज बहुत आसान और सम्भव है। और ज़ब आप इस स्तिथि से बाहर निकलोगे तो आप खुद महसूस करोगे की आप जिन चिजो की वजह से डिप्रेस्ड थे असल मे वें कुछ भी नहीं थी।
लोगों को भी डिप्रेस्ड व्यक्ति को सिर्फ एक बीमार व्यक्ति की तरह ही ट्रीट करना चाहिए। और इसे एक मानसिक बीमारी के रूप मे ही देखना चाहिए।
समाज की भूमिका –
समाज मे जागरूकता फैलानी चाहिए और लोगों को इस बात को समझना चाहिए की मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है जितना की शारीरिक स्वास्थ्य जरूरी है। इसे कमजोरी नहीं बल्कि एक बीमारी समझे और लोगों के बीच जागरूकता फैलाये।
निष्कर्ष –
डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह जरूरी है कि हम इसके बारे में खुलकर बात करें और प्रभावित लोगों का सहयोग करें। अगर आप या आपके आसपास कोई डिप्रेशन से जूझ रहा है, तो उसे अकेला न छोड़ें। पेशेवर मदद और सही दिशा में कदम बढ़ाकर, डिप्रेशन से बाहर निकलना संभव है।
याद रखें, आप अकेले नहीं हैं। मदद हमेशा मौजूद है।
1. प्रश्न – क्या डिप्रेशन से उभरा जा सकता है।
उत्तर – हाँ, बिलकुल।
2. प्रश्न – क्या यह एक बीमारी है।
उत्तर – हाँ यह एक बीमारी है जिसका इलाज बिलकुल सम्भव है।
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