प्रकृति है आपकी सबसे बड़ी मित्र। प्रकृति के साथ जुड़ कर खुद को बेहतर ( सेल्फ – डेवलपमेंट ) बनाने के 7 प्राकृतिक तरीके

प्रकृति क्या है और यह कैसे आपको सेल्फ – डेवलपमेंट मे मददगार है

सबसे पहले तो हम प्रकृति को समझेंगे की यह क्या है। आज की दुनिया मे तो मनुष्य प्रकृति को ही भूल चूका है। वह खुद के ख्यालो मे इतना व्यस्त है की वह भूल चूका है की प्रकृति क्या है। क्योंकि एक सर्वे बताता है की इस दुनिया 80 प्रतिशत लोग सुबह उगता हुआ सूरज ही नहीं देख पाते।

आज हम इस व्यस्त दूनिया मे अपनी आसपास की चीजों को बिलकुल भी महसूस नहीं कर पाते। जिस कारण हम खुद का सेल्फ – डेवलपमेंट करना भूल गए है। और हम सिर्फ भेड़ चाल मे लगे हुए है।

परन्तु अब समय है की हम खुद का प्राकृतिक विकास करें और इसके लिये हमें समझना पड़ेगा की प्रकृति क्या है। क्या अपने कभी अपने आसपास पक्षीयो की आवाज सुनी है। क्या कभी किसी पौधे को महसूस किया है।

क्या कभी किसी के दर्द को महसूस किया। हाँ भाई ये सभी प्रकृति का हिस्सा है। हमारे आसपास की हर वो वस्तु जो मानव निर्मित नहीं है वह प्राकृतिक है। मतलब वह प्रकृति का हिस्सा है। हम खुद प्रकृति का हिस्सा है।

गौर करें तो हमारा जीवन कैसा हो गया है। अपने आप से पूछो की क्या कभी सुबह सूरज उगता देखा है। या फिर कभी देखा ही नहीं। कभी पेड़ – पक्षीयो को महसूस किया है।

दोस्तों हम अपने जीवन स्तर को ऊँचा करने और भोग विलास के चककर मे इस प्रकृति को बिलकुल भूल चुके है। और इसके साथ ये भी भूल चुके है की यही प्रकृति हमारे सभी दुखो का निवारण कर सकती है। बस कमी है तो इस महसूस करने की।

अगर हम प्रकृति को महसूस करें। इसके साथ जिये तो हमारा मन शांति की और अग्रसर होगा। और हमें जीवन मे संतुष्टि मिलेगी। क्या अपने महात्मा बुद्ध के बारे मे सुना है। अगर सुना है तो आपको पता होगा की महात्मा बुद्ध को मोक्ष की प्राप्ति प्रकृति के साथ रहकर ही मिली थी।

अब यहाँ मेरी बात का यह मतलब बिलकुल नहीं की आप भी आज ही अपना सबकुछ छोड़कर जंगल मे चले जाओ। बल्कि मेरा मतलब है की आज के जीवन के अनुसार आपको अपने आसपास प्राकृतिक चीजों को महसूस करना चाहिए। उनका दर्द समझना चाहिए। उनसे बातें करनी चाहिए। क्योंकि वें सजीव है। उनमे भी जान होती है।

वें भी आपका दर्द समझ सकती है। इस तनावपूर्ण जीवन मे जहाँ हर व्यक्ति एक दूसरे को निचा दिखाने मे लगा रहता है वहां प्रकृति आपकी सच्ची मित्र बन सकती है।

आपको तनावमुक्त और प्यार भरा जीवन दे सकती है। बस कमी है तो इससे बात करने की है। आप अपने जीवन को नया रूप देने से बस एक कदम दूर खडे हो। क्योंकि आज हम आपको यही बताएंगे की कैसे प्रकृति है आपकी सबसे बड़ी मित्र है।

प्रकृति के महत्व को समझ और इसके साथ जुड़कर खुद को कैसे विकसित करें और अपना प्राकृतिक विकास करें –

एक रिसर्च बताती है की अगर आप हरियाली के बीच कुछ ही समय बिताते हो तो आपका 30 प्रतिशत तनाव छूमंत्र हो जाता है।

अब हम आपको कुछ ऐसे फैक्ट बतायेगे जिनसे आपका दिमाग़ हिल जायेगा और आप यह सोचने पर मजबूर हो जाओगे की प्रकृति का आपके सेल्फ – डेवलपमेंट मे कितना महत्व है व आपको महसूस होगा की आपने अपने जीवन मे कितनी बड़ी चीज को किनारे कर रखा है।

इसे एक उदाहरण से समझिये। दोस्तों अगर आप रोजाना सुबह सिर्फ सूर्योदय होता देखते हो तो आपके जीवन मे कामयाब होने की संभावना 40 प्रतिशत बढ़ जाती है।

और इसके आलावा आपको सेहत के बहुत सारे लाभ मिलते है। जैसे – मानसिक विकास, आपके फोकस मे वृद्धि, खुशी के हार्मोन मेलाटोनिन और सेराटोनिन मे बैलेंस होता है।

इसके अलावा आपका मेटबोलीज़्म बढ़ता है जिससे आपका वजन नियंत्रित होता है, नींद की गुणवत्ता मे सुधार होता है, तनाव कम होता है।

इसके अलावा भी सूर्योदय देखने के अनगिनत फायदे है। अब आप खुद ही सोच सकते हो की अगर प्रकृति के एक छोटे से जुड़ाव से इतने फायदे है तो सारी प्रकृति से जुड़ने पर आपका कितना सेल्फ – डेवलपमेंट होगा।

इसी प्रकार अगर आप धीरे – धीरे आप प्रकृति से जुड़ते जाते हो तो आप खुद को एक महामानव के रूप मे विकसित कर सकते हो। आप एक सुलझे हुए और कामयाब इंसान बन सकते हो।

इसके लिये आपको प्रकृति के महत्व समझना पड़ेगा। क्योंकि ज़ब हम प्रकृति के महत्व को समझेंगे तभी हम अपना प्राकृतिक विकास कर पाएंगे।

प्रकृति के साथ जुड़ने के फायदे और इससे अपना मानसिक विकास कैसे करें

अब तक आप यह तो जान चुके होंगे की हमारे जीवन मे प्रकृति का कितना महत्व है। अब हम यह जानेंगे की इससे प्रकृति से आपको कितना फायदा होता है और यह आपके मानसिक विकास मे कैसे सहायक है

1. तनाव कम करके आपकी एकग्रता बढ़ाये – अगर आप रोजाना आधा घंटा भी हरियाली मे गुजारते हो तो आपका तनाव 30 प्रतिशत तक कम होता है।

इसके अलावा अगर आप पक्षीयो की चचहाहट सुनते हो, सूर्योदय देखते हो, पेड़ो से प्यार करते हो और सारी प्रकृति से प्यार करते हो तो आप अपने तनाव को बिलकुल खत्म करके अपनी एकाग्रता को बहुत ही उच्च स्तर पर ले जा सकते हो।

2. स्वस्थ जीवन – प्रकृति के बीच रहने से आपको शुद्ध ऑक्सीजन, सूरज की रौशनी, मानसिक शांति, मानसिक विकास इत्यादि मिलता है जिससे आप एक स्वस्थ जीवन जी सकते हो।

3. रचनात्मक बनाता है – प्रकृति के साथ बीताया हुआ समय आपको रचनात्मक बनाता है। जिससे आप अपने कार्य को नए आयाम पर ले जा सकते हो।

4. खुद से मुलाक़ात करवाता है – प्रकृति का साथ हमें खुद से मुलाक़ात करवाता है। इससे हमें आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। हमें अपने आप से बात करने का मौका मिलता है और खुद को बेहतर बनाने का भी।

5. हमारी दूसरे जीवो के प्रति जिम्मेवारी बढ़ाता है प्रकृति के बीच रहने से हमें दूसरे जीवो से प्रेम बढ़ता है जिससे हमारी उनके प्रति जिम्मेवारी बढ़ती है। जिससे हमारे अंदर एक प्रेम की भावना जाग्रत होती है जो हमें जीवन मे नए आयाम देती है।

प्रकृति के साथ कैसे जुड़े कुछ प्रक्टिकल टिप्स –

प्रकृति के साथ जुड़ने के लिये हमें सबसे पहले प्राकृतिक चीजों का उपयोग करना आना चाहिए। हमें उन तरीको को जानना होगा जिनसे हम ज्यादा से ज्यादा प्रकृति का उपयोग कर सकते है। इसीलिए हम निचे कुछ प्रैक्टिकल तरीको के बारे मे बात करेंगे को हमें प्रकृति के करीब लेकर जायेंगे।

  1. सुबह जल्दी उठकर रोजाना सूर्योदय को देखे। इससे आपके अंदर गजब की ऊर्जा का परवाह बढ़ेगा।
  2. अगर नजदीक कोई जंगल या घने वृक्ष है तो उनके बीच चले जाए। उनसे बातें करें और उनको हग करें। आपको गजब की शांति महसूस होंगी। और कुछ दिन बाद आपको अनुभव होगा की वो सच मे बातें कर रहे है।
  3. नए – नए वृक्ष लगाए। और उनकी देखभाल करें। इससे आपका प्रकृति के साथ तालमेल और मजबूत होगा। और आपके अंदर धर्य जैसे गुण विकसित होंगे।
  4. कहीं पेड़ – पौधों के बीच जाकर लिखें और उस नजारे का स्केच बनाये। इससे आपकी और प्रकृति की मित्रता बढ़ेगी। और आप इसके करीब जायेंगे।
  5. सुबह कहीं नदी, तालाब या पेड़ पौधों के बीच ध्यान लगाए और उनको महसूस करें। गजब का आनंद आएगा और हम प्रकृति के करीब जायेंगे।
  6. सप्ताह मे एक दिन डिजिटल डेटॉक्स करें। मतलब सभी प्रकार के गेजेडट्स जैसे मोबाइल, लैपटॉप इत्यादि छोड़कर प्रकृति के बीच रहे। यह आपको प्रकृति के करीब लेकर जायेगा।
  7. कभी – कभी आउटडोर एक्टिविटी करें और पहाड़ो और नदियों के किनारे जाये। साइकिलिंग और ट्रकिंग करें। यह आपके जीवन मे उत्साह के साथ – साथ प्रकृति के करीब लेकर जायेगा।

प्रश्न और उत्तर

  • Q1: अगर मेरे आसपास जंगल नहीं है, तो क्या करूँ?
    Ans: छोटे पार्क,बालकनी या फिर गमलो में पौधे लगाएँ।
  • Q2: प्रकृति के साथ जुड़ने में कितना समय देना चाहिए?
    Ans: रोज़ 20 से 30 मिनट काफी है। धीरे – धीरे से इसे बढ़ा सकते हो।

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