
दोस्तों नए साल मे आपका स्वागत है। मै भगवान से प्रार्थना करता हूँ की 2025 आपको बहुत सारी खुशियाँ दे।
मेरे प्यारे दोस्तों इसलिए दुनिया मे प्रत्येक जीव तब सबसे ज्यादा ख़ुश होता है ज़ब वह किसी कार्य को करने मे सफल होता है। अब इसलिए सफलता के मायने अलग – अलग हो सकते है।
जैसे की शेर अपना शिकार करके ख़ुश होता है तो हिरण उसी शेर से बच निकलने मे ख़ुश होता है। कोई 1 लाख कमाकर ख़ुश होता है तो कोई केवल शाम की रोटी कमाकर। अब सभी की सफलता के मायने अलग – अलग है।
परन्तु क्या आप जानते हो की इन सब सफलताओं के पीछे जिस चीज का होना सबसे जरूरी होता है वह है शुरुआत करना। हाँ दोस्तों शुरुआत करना हीं प्रत्येक सफलता का आधार है।
अगर शेर अपनी मांद से शिकार के लिये बाहर ना निकले तो क्या शिकार अपने आप शेर के पास आ जायेगा नहीं दोस्तों। इसी प्रकार अगर हिरन शेर को देख कर ना भागा तो शेर उसे पलक झपकते हीं कहा जायेगा।
इसी प्रकार प्रत्येक जीव को छोटी से छोटी चीज के लिये शुरुआत करनी पड़ती है। क्योंकि बिना शुरुआत किये तो सामने रखा हुआ खाना भी मुँह तक नहीं जायेगा।
और फिर आप तो बिना शुरुआत किये हीं जीवन की दौड़ मे सफल होने के सपने देख रहे हो। परन्तु अब जो सबसे बढ़ा सवाल आपके सामने आता है वह है की यह शुरुआत कहाँ से करे।
परन्तु आप, मै और हमारे जैसे बहुत सारे लोगों को पता हीं नहीं है की हमें अपने लक्ष्य तक कैसे पहुंचना है। क्योंकि जो लोग जिंदा है अपने जीवन मे कुछ करना चाहते है वो यह तो निर्धारित कर लेते है की हमें पहुंचना कहाँ है।
परन्तु वो उन रास्तो को आसानी से नहीं खोज पाते और हर मान लेते है। क्योंकि उनको प्रत्येक रास्ते मे अंधेरा हीं अंधेरा दिखाई देता है।
क्योंकि शेर और हिरन को तो अपनी – अपनी शुरुआत करने का पता होता है। क्योंकि एक को भूख खत्म करने के लिये खाना है तो दूसरे को जान बचाने के लिये भागना है। इसीलिए उनके लक्ष्य साफ है।
परन्तु दोस्तों क्या आपको पता है हजारों मील के रास्ते को नापने के लिये भी शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है। अगर आप दिल्ली से मुंबई जा रहे हो तो ऐसा तो नहीं आप दिल्ली से हीं सारा रास्ता देख पाते हो।
बल्कि आप उतना हीं देख पाते हो जहाँ तक आपकी नजर जाती है। और आप जैसे – जैसे आगे जाते हो वैसे – वैसे आपको रास्ता नजर आता रहता है। यह इसीलिए सम्भव हो पाता है क्योंकि आपने दिल्ली से मुंबई जाने का साहस दिखाया और उस यात्रा की शुरुआत की।
सोचो अगर आप शुरुआत नहीं करते तो क्या कभी मुंबई पहुंच पाते नहीं। किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने के लिये शुरुआत जरूरी है। परन्तु सबसे बड़ी दिक्क़त यह होती है की हमें रास्ते का हीं नहीं पता होता। और हम यही सोच कर शुरुआत नहीं करते कहीं हम गलत रास्ता ना पकड़ ले।
मगर दोस्तों आप सोचो अगर हम दिल्ली मे बैठे – बैठे गलत रास्ते की चिंता करते रहे तो हम कभी भी मुंबई नहीं पहुंच सकते। परन्तु अगर हम शुरुआत करते है।
और साहस के साथ आगे बढ़ते है तो चाहे हम थोड़े लम्बे रास्ते से मुंबई पहुंचे परन्तु हमारी संभावना उस स्तिथि से बहुत ज्यादा होंगी ज़ब हम घर बैठ कर सिर्फ रास्ते की चिंता कर रहे थे।
इसीलिए सबसे जरूरी है शुरुआत करो। दोस्तों कोई भी व्यक्ति मां के पेट से सफल नहीं होता। परन्तु ज़ब वह शुरुआत करता है सफलता उसके कदम चूमती है। कई व्यक्ति बोलते है की उनके पास बहुत जबरदस्त आईडिया है।
परन्तु वे आईडिया कभी भी सफल नहीं हो पाते क्योंकि वो कभी शुरुआत ही नहीं करते। अब उदाहरण फेसबुक का हीं ले लेते है। दरअसल फेसबुक मार्क जुकरबर्ग का आईडिया ना होकर दो भाई कैमरोन और टेलर विंकलेवोस्स का आईडिया था।
जिसके लिये उन्होंने बाद मे कोर्ट मे केस भी किया और मार्क से 65 मिलियन डॉलर मे समझौता किया। मगर असल फायदा जिसको मिला और जिसे आज दुनिया फेसबुक के फाउंडर के नाम से जानती है वो है मार्क जुकरबर्ग।
क्या था मार्क जुकरबर्ग मे खास। बस यहीं ना कि उसने शुरुआत की और दुनिया को फेसबुक दी। आज मार्क दुनिया के अमीरो की सूची मे 5 वें नंबर पर आता है। और इसका एक कारण है शुरुआत।
अरे भाई किससे डरते हो, असफलता से। वही असफलता जिसको रोंद कर आज दुनिया का प्रत्येक सफल आदमी आगे बढ़ा है। भला ऐसी चीज से डरना हीं क्यों जिसका पता है की वो हमारे सफलता के रास्ते मे आएगी हीं आएगी।
फिर क्यों घबराते हो उस असफलता से। वो दूर खड़ी सफलता आपका इंतज़ार कर रही बस खडे होकर शुरुआत करने की बारी आपकी है। सोचो अगर एडिसन इस इस असफलता से घबराकर 10000 बार बल्ब बनाने की कोशिश ना करता तो क्या कभी हम लाइट से रूबरू हो पाते।
ना दोस्तों ना। हार मत मानो। बस शुरुआत करो।
अब बहुत से लोग कहेंगे की शुरुआत कहाँ से करे। हमें तो ना रास्ते का पता है और ना मंजिल का। आज हम इसी के बारे मे बात करेंगे की अपने रास्ते और मंजिल कैसे ढूंढे।
मित्रों कई बार हम देखते है की कुछ लोग बहुत जल्दी से सफल हो जाते है। वह किस्मत का खेल नहीं होता जैसा की लोग बोलते है। बल्कि वह खेल होता है की उस व्यक्ति को अपनी उस मंजिल का पता लग गया है जहाँ उसे पहुंचना है। और उसने मंजिल का पता लगाते हीं शुरुआत कर दी।
अब ज्यादातर लोगों की दिक्क़त यही होती है की उनको मंजिल का पता हीं नहीं लगता। आज मै आपको यही बताऊंगा की अपनी मंजिल का पता कैसे लगाए और फिर उन रास्तो को कैसे ढूंढे जिनके सहारे उस मंजिल तक पहुंचना है।
अब हम मान लेते है की आप बिलकुल ऐसी जगह पैदा हुए हो जहाँ प्रत्येक चीज का अभाव है। आसपास कोई शहर भी नहीं लगता। आपके पास पैसा भी नहीं है। और आपको पता भी नहीं है की आपके जीवन का लक्ष्य क्या है।
तो आपको सबसे पहले एक काम करना है की आपको यह देखना है की आपको सबसे ज्यादा जरूरत किस चीज है। हम यह जरूरत उदाहरण के लिये पैसो के रूप मे लेकर चलते है।
अब समझो की आपको बहुत सारे पैसे कमाने है परन्तु आपको यही नहीं पता की आपको ये पैसे कैसे कमाने है तो अपनी शुरुआत करने के लिये अपने आपको एक समय दो और एक अमाउंट दो की मुझे इतने समय मे इतना पैसा कमाना है।
ध्यान रहे की यह पैसा और समय आपकी वर्तमान स्तिथि को देखते हुए मेल खाता हुआ होना चाहिये। यह नहीं के आप बोलो की मुझे एक साल मे अम्बानी से ज्यादा अमीर होना है। बल्कि समय और पैसा दोनों हीं ऐसे लगने चाहिए जो आपके लिये सम्भव हो।
क्योंकि ऐसा करने से आपको बहुत फायदा होगा इसका आपको आगे की लाइनों मे पता लगेगा। अब यह अमाउंट और समय ऐसी किसी चीज पर लिखो जो आपको घर के अंदर जाते और आते दिखे।
अब शुरुआत करो। अगर कहीं से भी शुरुआत नहीं दिखाई दे रहो तो सबसे पहले खुद पर काम करो। अपने आपको सुधारने मे लग जाओ और अपने उस छोटे से लक्ष्य को दिमाग़ मे रखो। ज़ब आप खुद पर काम करने लगोगे तो आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
अगर जिम जाने के पैसे ना हो तो दौड़ लगाओ। बुरी आदतों और बुरे खाने को ना कहो। सिर्फ अच्छा खाओ। अगर अच्छे खाने के पैसे ना हो तो कम खाओ मगर बुरा मत खाओ। इससे आप अनुशासित और स्वस्थ बनेंगे।
अपनी दिनचर्या मे इतना सुधार करो की लोग भी और आप खुद भी अपने आप मे बदलाव महसूस कर सके। बस दोस्तों समझो की आपकी शुरुआत हो चुकी है। जिस शुरुआत की आपको जरूरत थी।
अब समझो की आपके रास्ते खुलने लग जायेंगे। अगर आप दिल्ली घर से निकले बिना हीं मुंबई जाने की बात करते रहते हो तो कभी नहीं पहुंच पाओगे। परन्तु अगर आप एक बार घर से निकल गए और आपका इरादा मुंबई जाने का हीं है तो आप देर – सवेर रास्ता ढूंढ़ हीं लोगे।
इसी प्रकार खुद मे बदलाव लाकर आप घर से निकल चुके हो और आपने शुरुआत कर दी है। अब बारी उस रास्ते को ढूंढने की है जो आपकी मंजिल तक जाता है और आपको अपनी मंजिल पर पहुंचाएगा। जो कोशिश करने पर देर सवेर आपको मिल हीं जाएगा।
जो यात्रा का सबसे जरूरी पक्ष होता है वो है शुरुआत। जो आपने कर दी है। अब लक्ष्य को ध्यान मे रखते हुए अपनी शुरुआत को निरंतर रखे और अपनी उस मंजिल तक पहुंचे जो आपका इंतज़ार कर रही है।
अपने उस सिहाँसन तक पहुंचो जो आपका इंतज़ार कर रहा है।
दोस्तों अगर दौड़ नहीं सकते तो पैदल चलो, अगर पैदल नहीं चल सकते तो रेंग कर चलो। मगर जो सबसे जरूरी है वो है चलना। इसी प्रकार हमें सफलता की पहली सीढ़ी चढ़नी है तो हमें शुरुआत करनी हीं पड़ेगी। इसीलिए उठो और शुरुआत करो।
मेरी कहानी –
दोस्तों अब मै आपके साथ मेरी खुद की शुरुआत के बारे मे बताता हूँ। मैंने 4 साल पहले यही सोच कर इसलिए ब्लॉग की शुरुआत की थी की अब मुझे अपनी मंजिल तक पहुंचना है। और मै वैसे हीं निकल पड़ा जैसे कोई दिल्ली से मुंबई तक पहुंचने के लिये निकलता है।
मगर जैसे हीं घर से निकला तो मुझे रास्ते मे इतने लोग मिले जिन्होंने मेरी मंजिल हीं बदल दी। और मै उनकी बातो मे आकर कभी मेरठ का रास्ता पुछु तो कभी पटना के रास्ते चल पड़ू। क्योंकि उन लोगों ने बताया की मुझे मुंबई नहीं किसी दूसरे शहर मे जाना है वहां मेरी मंजिल मेरा इंतज़ार कर रही है।
हाँ आप सही सोच रहे हो। हममे से ज्यादातर लोगों की असफलता का कारण यही लोग होते है। जो हमें बताते है की हमें अपने बनाये हुए रास्तो पर नहीं बल्कि भीड़ के साथ चलना चाहिए। और यही कारण है की मै पिछले चार साल से अपने passion लिखने से कई कोसों दूर जाकर अपनी मंजिल ढूंढ़ रहा था।
मगर मुझे क्या पता था की ज़ब तक मंजिल का हीं पता ना हो तो हम कही नहीं पहुंचते। इसीलिए मैंने अपनी मंजिल को पहचाना और आज 2025 मे मैंने अपनी मंजिल तक पहुंचने का लक्ष्य बनाया है। मैंने अपने passion का पीछा करना शुरू कर दिया है।
इसलिए ब्लॉग को लिखते हुए मै अपनी मंजिल तक पहुंचने की शुरुआत कर चूका हूँ। अगर आप भी अपनी शुरुआत करना चाहते हो तो कमेंट मे लिखें। मै आपका साथ दूंगा।
धन्यवाद दोस्तों