सफलता शब्द सिर्फ चार अक्षरों का है मगर इसको प्राप्त करने के लिये लोगों की सारी जिंदगी खर्च हो जाती है। मगर बोला जाता है ना की हर चीज को प्राप्त करने के लिये एक प्रक्रिया होती है। इसी प्रकार सफलता को प्राप्त करने की भी एक प्रक्रिया है।
और इसी प्रक्रिया मे सबसे पहला नाम आता है self – control का। इसको हम हिंदी मे आत्म नियंत्रण कहते है। इसे हम सफलता की पहली सीढ़ी भी बोल सकते है। क्योंकि इसके बिना सफलता की कल्पना करना भी बेमानी होगा।

आप समझ हीं सकते हो अगर किसी व्यक्ति मे self – control नहीं होगा तो उसे अपने रास्ते से भटकने मे देरी नहीं लगेगी। अगर आपका खुद पर नियंत्रण हीं नहीं होगा तो आप किसी भी लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकते हो।
अब जैसे की आपको जाना तो दिल्ली है मगर रास्ते मे किसी ने बोल दिया की आपको मेरठ जाना चाहिए और आप मेरठ की तरफ चल पड़े तो बताओ आप दिल्ली कैसे पहुंच पाओगे। इसीलिए खुद पर नियंत्रण बहुत जरूरी है।
अब कई लोगों के मन मे यह सवाल उठता है की सफलता के लिये किस प्रकार का आत्म नियंत्रण जरूरी है। और यह सवाल जरूरी भी है। क्योंकि अगर हम हर चीज के लिये आत्म नियंत्रण का इस्तेमाल करेंगे तो जिंदगी का मजा हीं खत्म हो जायेगा। अब आज हम इसी बात पर बात करेंगे की हमारे अंदर कब कितना और किस चीज के लिये self – control होना चाहिए।
अब देखो अगर हम self – control को लेकर बहुत ज्यादा सतर्क होते है तो ऐसे मे बहुत सी चीजे जो बुरी और अच्छी है जिनको करने मे हमें मजा आता है वो भी छोड़नी पड़ेंगी जिससे हमारा तनाव बढ़ सकता है। इसीलिए हमें self – control को वही पर प्रयोग करना है जहाँ इसकी हमें जरूरत महसूस हो।
अब जैसे की हमने अपने लिये एक लक्ष्य बनाया की हमें एक महीने मे 5 किलो वजन कम करना है तो हमारे अंदर इतना आत्म नियंत्रण जरूरी है की जो चीजे हमारे इसलिए लक्ष्य के बीच मे आये हम उनको छोड़ दे। फिर चाहे उनको खाकर हमें कितना भी मजा आता हो।
हमारे अंदर इतना आत्म नियंत्रण जरूरी है की जिस भी काम को करने से हम लक्ष्य तक पहुंच सकते है हम हर वो काम करें। फिर चाहे वो हमें कितनी भी पीड़ा देता हो। ज़ब तक हम लक्ष्य को प्राप्त ना कर सके तब तक प्रत्येक वो कार्य करें की जो हमें लक्ष्य तक लेकर जाये और प्रत्येक वो कार्य जो हमारे लक्ष्य तक पहुंचने मे अड़चन पैदा करें उससे दूर रहे।
इतना self – control होना सफलता के लिये जरूरी है। आत्म नियंत्रण सफलता को पहली सीढ़ी इसीलिए बोला जाता है क्योंकि इसके अंतर्गत आपको वो काम भी करने पड़ेंगे जो आपको अच्छे नहीं लगते। अब एक उदाहरण प्रसिद्ध अभिनेता शाहरुख़ खान का लेते है। शाहरुख़ खान जिम मे जाना और strict डाइट को बिलकुल पसंद नहीं करते।
परन्तु फिर भी वो ये दोनों काम करते है। ये सभी उनके self – control वजह से हीं सम्भव है। और इसी कारण आज वें इतने मशहूर अभिनेता है। प्रत्येक महान व्यक्ति मे यह गुण सामान्य पाया जाता है।
अब आपको एक मशहूर अश्वेत बॉक्सर जैक जोनसेन और एक श्वेत बॉक्सर जिम जीफ्रीस के एक बॉक्सिंग मैच के बारे मे बताते है यह वो दौर था ज़ब गोरे लोग काले लोगों को अपने से बहुत कम आंकते थे। और इसी कारण गोरे लोगों को यह बर्दास्त नहीं था की एक अश्वेत बॉक्सर जैक जोनशन हवीवेट चैंपियन बने।
और इसीलिए उन्होंने उस समय के मशहूर श्वेत बॉक्सर जिम जेफरीज को बुलाया। और ऐसे शहर मे मैच रखा जहाँ सारी जनसंख्या गोरे लोगों को थी। उस समय गोरे लोगों मे काले लोगों के प्रति इतनी नफ़रत थी की जैक जोनसेन को कोई गोली भी मार सकता था।
परन्तु जैक जोनसेन का आत्म नियंत्रण इतना मजबूत था की उन्होंने मैच खेलने का निर्णय किया। मैच शुरू हो चूका था। जिम और स्टेडियम मे बैठे लोग पूरा जोर लगा रहे थे की अश्वेत बॉक्सर जैक को हराया जाये। सभी लोग जैक को गालिया, हूटिंग और बहुत कुछ उसके ऊपर फेंक रहे थे।
परन्तु जैक जोनसेन ने एक पल के लिए भी अपना self – control नहीं खोया। और अपनी सामान्य लय मे खेल खेलता रहा। दूसरी तरफ जिम जेफरीज अच्छा बॉक्सर होते हुए भी आत्म नियंत्रण खो बैठा। और जैक के ऊपर बॉक्सिंग के सारे नियम तोड़ते हुए प्रहार करने लगा।
परन्तु जैक का आत्म नियंत्रण इतना मजबूत था की उसने बिना किए दवाब मे आये बहुत अच्छा खेल दिखाया और आखिर मे जीत गया। जिससे स्टेडियम मे सभी लोग जो जैक को गलियां दे रहे थे वो उसका खेल और उसका आत्म नियंत्रण देख तालियां बजा रहे थे।
जैक ने उस दिन दिखा दिया की आत्म नियंत्रण जीवन के हर क्षेत्र मे कितना जरूरी है। अगर उस दिन जैक इतनी गलियां और हूटिंग सुन कर अपना आपा खो देता तो लोगों की भीड़ उसे जान से भी मार सकते थे। परन्तु उसके self – control ने उसकी जीत को सम्भव बनाया।
आपके खुद पर नियंत्रण का तभी पता लगता है ज़ब आप बहुत दवाब जैसी स्तिथि मे भी सामान्य व्यवहार करता है। भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को उनके खेल से ज्यादा उनका self – control महान बनाता है। वो दवाब की स्तिथि मे बहुत से उनसे भी अच्छे खिलाड़ियों से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करते है।
जो बात उन्हें महान बनाती है। विराट कोहली ज़ब खराब फॉर्म मे चल रहे थे तो उन्होंने अपनी फिटनेस के लिये वह खाना छोड़ जो उनको बहुत पसंद था वह खाना शुरू किया जो उनकी फिटनेस के लिए उचित था। यह दिखाता है की प्रत्येक महान व्यक्ति की सफलता को उसका आत्म नियंत्रण तय करता है।
अब हम महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली का हो उदाहरण ले लेते है। शुरुआत मे विनोद कांबली को सचिन से ज्यादा अच्छा और प्रतिभाशाली खिलाडी माना जाता था। मगर सचिन ने अपने आत्म नियंत्रण के अनुशासन के कारण इतने महान बने।
दूसरी तरफ सचिन से ज्यादा प्रतिभाशाली कांबली self – control ना होने के कारण आज बर्बाद हो गए। ज़ब सचिन अपने आत्म नियंत्रण के कारण खेल की प्रक्टिस करते थे तो उसी समय कांबली रात भर जाग कर पार्टियां, दारू और अय्याशी करते। जिस कारण उन दोनों के बीच का अंतर आज हम देख सकते है।
दोस्तों self – control जीवन मे एक बहुत बढ़ा व्यापक शब्द है। और यह जीवन मे सफल होने के लिये बहुत ज्यादा जरूरी है। जिस व्यक्ति मे आत्म नियंत्रण की कमी होती है वह कामयाबी के रास्ते से दूर होता जाता है।
अपने अंदर self – control कैसे विकसित करें –
अब हमें यह तो पता लग चूका है की जीवन मे कामयाब होने के लिये self – control कितना जरूरी है। मगर सवाल यह है की हम इसे अपने अंदर कैसे विकसित करें।
दोस्तों आत्म नियंत्रण के लिये हमें खुद को नियमित चुनौतीया देनी होंगी। क्योंकि यही एक कारण है जिसके माध्यम से हम अपने अंदर आत्म नियंत्रण विकसित कर सकते है। उदाहरण के लिये ज़ब भी वैज्ञानिक अंतरिक्ष मे कोई मिशन भेजते है तो वें सबसे पहले वहां जाने वाले यात्रियों को तरह – तरह की चुनोतियाँ देते है।
वें उनका self – control बढ़ाने के लिये उनको कम ऑक्सीजन मे टास्क देते है ताकि अंतरिक्ष मे भी कम ऑक्सीजन हो तो वें खुद पर आत्म नियंत्रण कर सके और अपना आपा ना खोये। आत्म नियंत्रित व्यक्ति कभी भी भयानक स्तिथि मे अपना आपा नहीं खोता। वह हर मुश्किल स्तिथि मे स्थिर रहता है।
आप भी खुद को रोजाना छोटी – छोटी चुनौतीया देकर अपना self – control विकसित कर सकते हो। जैसे की कम बोलना, किसी बात पर गुस्सा ना करना, किसी गलत चीज को ना खाना, स्मोकिंग से परहेज करना इत्यादि।