Short – selling क्या है| इसको करने के फायदे और नुक्सान विस्तार से

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Short – selling क्या है –

Short – selling क्या है अगर इसको संक्षेप में बताया जाए तो हम कह सकते है की उन stocks को बेचना जिनका मालिकाना हक आपके पास नहीं है। इसके अलावा हम कह सकते है की गिरती हुई मार्किट में अगर पैसा कमाने का कोई तरीका है तो उसे Short – selling कहा जाता है।अब आपके मन में यह प्रश्न उठा होगा की हम ऐसी किसी चीज को कैसे बेच सकते है जिसका मालिकाना हक हमारे पास है ही नहीं। तो इसको मै आपको एक उदाहरण के द्वारा बताता हूँ जैसे की राम को पता लगता है की उसके पड़ोस में कोई मकान बिक रहा है जिसकी कीमत उसके मकान मालिक ने 20 लाख रखी हुई है। परन्तु राम को लगता है की इसकी कीमत कम लगाई गई है इसीलिए वह अपने दोस्त श्याम को वह मकान दिखाता है और श्याम को उसकी कीमत बारे पूछता है।

श्याम राम को वह मकान 30 लाख में लेने के लिए बोलता है और राम को 30 लाख रूपए दे देता है। इसकी एवज में राम श्याम को 1 महीने में उस घर का मालिकाना हक देने का वायदा करता है। इस दौरान राम श्याम से लिए हुए 30 लाख रूपए में से 20 लाख उस मकान के असली मालिक को दे देता है और उस मकान को सीधा श्याम के नाम करवा देता है। इस दौरान राम वो चीज बेच देता है जिस पर राम का कभी कोई मालिकाना हक नहीं रहा और ऐसा करके राम 10 लाख रूपए भी बचा लेता है। इस सारी प्रक्रिया में राम ने वह मकान श्याम को 1 महीने पहले ही 30 लाख में देने का वायदा करके एक तरह से उस मकान को बिना खरीदे ही बेच दिया था।

इसी प्रकार Short – selling की जाती है। जब भी किसी शेयरहोल्डर को यह लगता है की कोई शेयर गिर सकता है तो वह उस कंपनी के शेयर्स को गिरने से पहले ही बेच देता है। और जब इस शेयर का दाम गिर जाता है तब वह इस शेयर को खरीद लेता है। और इस दौरान जो भी sell price और buy price में अंतर होता है वही शेयरहोल्डर का लाभ या हानि होता है। हम इसे उदाहरण के द्वारा विस्तार से समझते है – जैसे की कल 11 बजे सुबह एयरटेल कंपनी के results आने वाले है और महेश को लग रहा है की इस बार एयरटेल के नतीजे कुछ खास नहीं आने वाले जिनकी वजह से इसका शेयर का दाम गिरने वाला है।

इसीलिए महेश सुबह अपने ब्रोकर की सहायता से एयरटेल के 100 शेयर 100 रूपए के दाम पर sell कर देता है इसके बाद जब नतीजे आते है तो वह महेश के अनुमान के ठीक अनुसार एयरटेल के नतीजे अच्छे नहीं होते जिसके कारण शेयर का price काम होकर 90 रूपए हो जाता है। जिस पर महेश वही 100 शेयर buy कर लेता है। अब समझने वाली बात है की जब हम किसी चीज को 90 में buy करते है और 100 में sell करते है तो हमे 10 रूपए का फायदा होता है और इसी अनुसार महेश को प्रति शेयर 10 रूपए और कुल 1000 रूपए का फायदा होता है।

परन्तु इसके विपरीत अगर महेश का अनुमान गलत हो जाता और एयरटेल के नतीजे अच्छे आ जाते और इनके कारण शेयर का मूल्य बढ़ कर 110 हो जाता तो महेश को यही 100 शेयर 110 के मूल्य पर खरीदने पड़ते जिस कारण उसको प्रति शेयर 10 रुपये का नुक्सान हो जाता और उसका कुल नुक्सान 1000 रूपए का हो जाता। इसे ही Short – selling कहते है।

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क्या Short – selling भारत में legal है और इसे कौन regulate करता है –

अब आपके मन में यह सवाल उठा होगा की क्या Short – selling भारत में लीगल है ? तो इसका उत्तर हाँ है। और इसे SEBI के द्वारा regulate किया जाता है। परन्तु इसके विपरीत फ्रांस ,चीन इत्यादि कुछ देशो ने इसे अवैध करार दे दिया है। वैसे तो भारत में शार्ट सेलिंग को सेबी रेगुलेट परन्तु भारत सरकार पर यह पावर है की वह इसे जब चाहे तब इस पर प्रतिबंध लगा सकती है।

Short – selling कितने प्रकार की होती है –

Short – selling मुख्यत दो प्रकार की होती है।

1. Intraday short – selling

2 . Short – term Short – selling

  1. Intraday short – selling – भारत में ज्यादातर शार्ट सेल्लिंग इसी प्रकार से की जाती है। इसके लिए MIS ( margin intraday settelment ) account की जरूरत पड़ती है। या हम दूसरे शब्दों में कह सकते है जिस अकाउंट से इंट्राडे शार्ट सेल्लिंग की जाती है उसे MIS अकाउंट कहते है। इस अकाउंट में ट्रेड सुबह 9.15 से शाम के 3.30 के बीच में की जाती है। इस बीच में हम जब किसी भी शेयर को sell करते है तो या तो हमे उसे 3.10 p.m. तक buy करना पड़ता है नहीं तो हमारा स्टॉक ब्रोकर उसे 3.30 p.m. तक अपने आप buy करके उस position को squre off कर देता है। कुछ ब्रोकर हमे 3.10 p.m. की बजाय 3.20 p.m. तक का समय देते है जैसे Zerodha इत्यादि। अब आपके मन में सवाल आया होगा की ये पोजीशन squre off करना किसे कहते है ? इसको एक उदाहरण से समझते है – जैसे की राम ने x कंपनी के 100 शेयर sell किये तो हमारे MIS अकाउंट में यह शेयर -100 के रूप में दिखेंगे। इसी प्रकार जब हम इसी कंपनी के 100 शेयर्स को खरीद लेते है जो हमने sell किये थे तो हमारे MIS अकाउंट में इनकी मात्रा zero के रूप में दिखाई देगी। इसी को पोजीशन squre off करना कहते है। मतलब जितने शेयर sell किये थे उतने ही खरीद लेना पोजीशन squre off करना कहते है।
  2. शार्ट – टर्म Short – selling – इस प्रकार की शार्ट सेल्लिंग Share landing and borrowing mechanism के अनुसार होती है। इसमें कुछ शेयर होल्डर जो लम्बे समय तक किसी कंपनी के शेयर को रखते है वो उन लोगों को अपने शेयर उधार देते है जो शार्ट – सेल्लिंग करते है और इसकी एवज में अपना कमीशन वसूल करते है। इसको एक उदाहरण से समझते है – x नाम का एक शेयरहोल्डर मारुती कंपनी के शेयर लम्बे समय तक खरीदता है। वह इनको कम से कम 10 साल रखना चाहता है। परन्तु इसी बीच मारुती कम्पनी के बारे में मार्किट में कोई बुरी खबर आती है। जिससे y नाम के व्यक्ति को लगता है की अब मारुती के शेयर की कीमत घटने वाली है। इसीलिए वह x को बोलता है की अगर वह अपने शेयर कुछ महीनो के लिए उसे sell करने के लिए उधार दे दे तो वह x को उसका कमिशन देगा। और निश्चित समय के बाद वह x के शेयर को buy करके सारे शेयर उसे वापस लौटा देगा। इस प्रकार यहाँ y शार्ट टर्म शार्ट सेल्लिंग करेगा। इससे x भी फायदा कमा सकता है और y भी। इसको ही शार्ट – टर्म Short – selling कहा जाता है।

अगर short – selling करते वक़्त शेयर buy न किये जाये तो क्या होगा –

कई बार हम अनुमान लगाते है की किसी शेयर की कीमत निचे जाने वाली है और हम उस शेयर को sell कर लेते है परन्तु तभी हमारा अनुमान गलत हो जाता है और शेयर का मूल्य किसी कारण बढ़ने लग जाता है और इसमें upper सर्किट लग जाता है। जिस कारण हम उस शेयर ट्रेड के समय तक नहीं खरीद पाते। तो ट्रेड के समय के बाद कुछ समय ब्रोकर को ट्रेड के लिए दिया जाता है जिस समय में हमारा ब्रोकर उस शेयर को हमारे लिए खरीद कर हमारी पोजीशन को अपने आप squre off कर देता है। परन्तु अगर ब्रोकर भी यह शेयर नहीं खरीद पाता क्योंकि upper सर्किट की अवस्था में सब शेयर खरीदने वाले होते है बेचने वाले नहीं होते। तो इसकी हमे पेनल्टी देनी पड़ती है। और पोजीशन को अगले दिन squre off करना पड़ता है।

क्या हमे शार्ट सेल्लिंग करनी चाहिए –

दोस्तों Short – selling क्या है इसको पढ़ने के बाद आपको यह तो समझ आ गई होगी की शार्ट सेल्लिंग क्या होती है। परन्तु इसे हमे करना चाहिए या नहीं इसके लिए हमे इसके फायदे और नुक्सान के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि तभी हम इस बारे कोई फैसला ले सकते है।

Short – selling के फायदे –

  1. गिरती हुई मार्किट में भी पैसा कमा सकते है – शार्ट सेल्लिंग स्टॉक मार्किट में एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम गिरती हुई मार्किट में भी पैसे कमा सकते है। अगर आपका अनुमान सही है तो आप इसके माध्यम से उस समय में भी पैसा कमा सकते हो जब मार्किट गिर रहा होता है।
  2. किसी कंपनी के शेयर के price को consolidate करने में सहायक – कई बार कई कंपनियों के भाव उनके असल मूल्य से कई गुना ज्यादा हो जाते है। ऐसी अवस्था में शार्ट सेल्लिंग उनके प्राइस को असल मूल्य पर लाने में मदद करती है।
  3. मार्किट में तरलता बनाये रखती है – कई बार मार्किट बुरी तरह क्रैश हो जाता है या फिर कई बार ऐसी स्तिथि आ जाती है की हर कोई मार्केट में निवेश करने से बचता है। ऐसे समय में जब हर कोई मार्किट में निवेश करने से बच रहा होता है तो मार्किट में तरलता की बहुत कमी आ जाती है और ऐसे समय में शार्ट सेल्लिंग एक ऐसा जरिया होता है जो मार्किट की तरलता को बनाये रखने में सहायक होता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते है की यह मार्किट की तरलता को बनाये रखती है।

Short – selling के नुक्सान –

  1. नुक्सान की कोई हद नहीं होती – जब हम किसी स्टॉक को buy करते है तो उसमे नुक्सान होने की संभावना 100 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होती क्योंकि कोई शेयर 100 प्रतिशत से ज्यादा नहीं गिर सकता। मतलब किसी भी शेयर की कीमत उसके मूल्य से जीरो हो सकती है इससे कम नहीं। मगर Short – selling के केस में ऐसा नहीं है। यहां किसी शेयर की कीमत कितनी भी बढ़ सकती है इस पर कोई पाबंदी नहीं है। और शार्ट सेल्लिंग करते वक्त जितना भी रेट बढ़ेगा उतना ही नुक्सान शेयरहोल्डर को होगा। इसीलिए हम कह सकते है की यह बहुत रिस्की है क्योंकि इसमें नुक्सान की कोई हद नहीं होती।
  2. ब्रोकर का ज्यादा कमीशन – शार्ट – सेल्लिंग करते वक्त ब्रोकर नार्मल ट्रेडिंग से ज्यादा कमीशन लेते है। जो शेयरहोल्डर के लिए एक प्रकार का अनआवश्यक खर्चा है।
  3. शेयर्स के भाव से छेड़खानी – कई बहार कुछ शार्ट सेलर्स खुद के प्रॉफिट के चक्र में कुछ कंपनियों के शेयर के असल भाव को अपनी मर्जी से manipulate करने की कोशिश करते है। जिससे दूसरे शरहोल्डर्स को बहुत नुक्सान उठाना पड़ता है। परन्तु इसको कण्ट्रोल करने के लिए SEBI ने बहुत से नियम कानून बनाये हुए है।

दोस्तों आशा करता हु की Short – selling क्या है का टॉपिक आपको helpful लगा होगा। अगर आपको यह article ज्ञानवर्धक लगा हो तो please इसे अपने दोस्तों से शेयर करे। धन्यवाद

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